आगरा, जागरण संवाददाता। करदाताओं द्वारा दाखिल आयकर रिटर्न (आइटीआर) की जांच आयकर विभाग करता है। उनमें किसी भी प्रकार की संदिग्धता प्रतीत होने पर आयकर अधिनियन 1961 की धारा 143(1) के तहत सूचना व करदाता को नोटिस भेजता है। आयकर विभाग से नोटिस मिलने पर घबराने की जरूरत नहीं।
सीए प्रार्थना जालान का कहना है कि अक्सर करदाता छोटी-बड़ी कुछ गलतियां करते हैं, जिनके कारण आयकर विभाग करदाता को नोटिस जारी करता है। इसमें स्त्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) गणना में गलती, आइटीआर की सूचना में विसंगतियां, विभागीय जांच में कमियां मिलने पर, आइटीआर देय तिथि से जमा न करने व उच्च मूल्य के लेनदेन की जानकारी मिलना आदि मुख्य कारण हैं।
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नोटिस आने पर क्या करें
सीए पंकज जैन बताते है कि आयकर विभाग रिटर्न में जानकारी गलत होने, पूरे कर का भुगतान न होने, करदाता द्वारा कटौती किए गए कर के लिए विशेष धन वापसी का आय का उल्लेख न करने, पैन कार्ड से बेमेल मामले में भुगतान की जानकारी न देने पर आयकर विभाग आयकर अधिनियम की धारा 139 (9) के तहत नोटिस जारी करता है। इस स्थिति में आंकलन अधिकारी द्वारा सूचित करने के 15 दिनों के अंदर जवाब देना होगा है। करदाता स्थानीय कर निर्धारण अधिकारी से लिखित प्रार्थना कर विस्तार विवरण के लिए अपील कर सकते हैं, लेकिन जवाब न होने पर आइटीआर अमान्य हो जाएगा। इसलिए नोटिस का जवाब बेहद सोच समझकर देने की जरूरत होती है।
कर सहायक से लें सहायता
जानकारों का कहना है कि आयकर विभाग के नियमों में लगातार बदलाव हो रहे हैं, औपचारिकताएं भी पहले की तुलना में बढ़ी हैं। इसलिए आपका एक गलत जवाब या लापरवाही आपके लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। इसलिए जब मामला लगे कि बढ़ने की स्थिति है, तो अपने कर सहायक की सहायता लेने में जरा भी न हिचकें। दरअसल बातों को छिपाने से गड़बड़ी हो सकती है। बहुत बार आय की गणना करने में चूक हो जाती है। इसलिए कर सहायक को पूूूर्ण जानकारी देनी चाहिए।