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कोरोना मरीजों में 7 गुना ज्‍यादा है बेल्स पॉल्सी का खतरा, इसमें चेहरे पर हो सकता है लकवा

Corona Patient Risk Of Bell’s Palsy: हाल में की गई एक रिसर्च (Research) में यह खुलासा हुआ है कि कोरोना के मरीजों में चेहरे पर लकवा (Paralysis) होने का खतरा 7 गुना ज्‍यादा होता है. इसे मेडिकल भाषा में बेल्‍स पॉल्‍सी के नाम से जाना जाता है.

Corona Patient Risk Of Bell’s Palsy: कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Epidemic) से पूरी दुनिया जूझ रही है. डेढ़ साल के बाद भी कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. बीते साल से ही यह लोगों को अपना शिकार बना रहा है. वहीं लगातार नए-नए लक्षणों के साथ इसका प्रभाव मरीजों में नजर आ रहा है. ऐसे में इसको समझने के लिए कई तरह की रिसर्च (Research) की जा रही हैं, ताकि इसके बार बार बदलते लक्षणों के मद्देनजर बचाव किया जा सके. हाल में की गई एक रिसर्च में यह खुलासा हुआ है कि कोरोना के मरीजों में चेहरे पर लकवा (Paralysis) होने का खतरा 7 गुना ज्‍यादा होता है. इसे मेडिकल भाषा में बेल्‍स पॉल्‍सी के नाम से जाना जाता है.

यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल क्लीवलैंड मेडिकल सेंटर और केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों की एक रिसर्च के हवाले से भास्‍कर की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना के एक लाख मरीजों में बेल्स पॉल्सी के 82 मामले सामने आए हैं. इस रिसर्च के मुताबिक वैज्ञानिकों ने 3 लाख, 48 हजार ऐसे कोरोना मरीजों के मिलने की बात कही जिनमें 284 मरीज बेल्स पॉल्सी के थे. वहीं यह भी कहा गया है कि इनमें 54 फीसदी मरीज ऐसे भी हैं जिनमें बेल्स पॉल्सी की हिस्ट्री नहीं रही है. वहीं 46 फीसदी मरीज ऐसे भी थे जो इस बीमारी से पीड़ित रहे हैं. इसके अलावा वैक्सीन लेने वाले एक लाख लोगों में बेल्स पॉल्सी के मात्र 19 केस मिले. ऐसे में वैज्ञानिकों की ओर से लकवे से बचाव के लिए कोरोना की वैक्सीन लगवाना जरूरी बतायाा गया है. वहीं इस रिसर्च में 74 हजार में से करीब 37 हजार लोगों ने वैक्सीन ली थी. इसके बाद 8 लोगों में बेल्‍स पॉल्‍सी के मामले देखे गए.

बेल्‍स पॉल्‍सी मांसपेशियों और पैरालिसिस से जुड़ा रोग है
कोरोना के मरीजों में चेहरे पर लकवा होने का खतरा होना बहुत चिंताजनक बात है. ऐसे में इसके बारे में जानना और भी जरूरी हो जाता है. दरअसल, बेल्‍स पॉल्‍सी मांसपेशियों और पैरालिसिस से जुड़ा रोग है. इसमें चेहरा लटक जाता है और गालों को फुलाने में परेशानी होती है. वहीं इसका मरीज की आंखों और उसकी आइब्रो पर भी प्रभाव पड़ता है. जिससे मरीज की पलकें झुकी रहती हैं. वहीं इस बीमारी के होने के पीछे असल कारण क्‍या हैं इस बारे में स्‍पष्‍ट जानकारी सामने नहीं आई है. कुछ वैज्ञानिकों के मुताबिक शरीर में रोगों से बचाव करने वाले प्रतिरक्षा तंत्र में ओवर-रिएक्शन होने से सूजन हो जाती है और नर्व डैमेज हो जाती है. इसी वजह से चेहरे पर इसका बुरा प्रभाव दिखाई पड़ता है.

बीमारी से उबरने में लग सकते हैं कई महीने
वहीं इस संबंध में वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर 2 महीने में इसके मरीजों को उचित इलाज मिल जाए तो इसका उपचार बेहतर ढंग से किया जा सकता है. साथ ही यह भी कहा गया है कि इस रोग से उबरने में मरीजों को 6 महीने का समय तक लग सकता है.

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