Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार से पूछा है कि इतनी कम वैक्सीन राज्य को क्यों मिल मिल रही है? कितने अनुपात में मिलनी चाहिए और कम क्यों मिल रही है? हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार के 18 से 44 साल की उम्र के लोगों के वैक्सीनेशन पर रोक लगाने के फैसले पर हाईकोर्ट ने कहा है कि इसके कैसे बंद किया जा सकता है और टीकाकरण को सरकार को तुरंत शुरू करना चाहिए. आपको बता दें कि राज्य सरकार ने अगले आदेश वैक्सीनेशन पर रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने बुधवार देर रात इसके आदेश जारी किया था.
छत्तीसगढ़ में 18 से 45 आयुवर्ग के वैक्सीनेशन स्थगित किए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार आज से ही वैक्सीनेशन शुरू करें. इसमें एक तिहाई अंत्योदय कार्डधारकों को, एक तिहाई बीपीएल और एक तिहाई एपीएल को शामिल करें. केंद्र से हाईकोर्ट ने पूछा इतनी कम वैक्सीन राज्य को क्यों मिल मिल रही है? कितने अनुपात में मिलना चाहिए और कम क्यों मिल रहा है? हाईकोर्ट चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
छत्तीसगढ सरकार के वैक्सिनेशन में आरक्षण के खिलाफ अमित जोगी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी. सरकार ने सबसे पहले सबसे गरीब तबके के वैक्सिनेशन का निर्णय लिया था. राशनकार्ड के हिसाब से सबसे आखिरी में सामान्य वर्ग के लोगों का वैक्सीनेशन किया जाना था. हाईकोर्ट ने कहा था कि वैक्सिनेशन में आरक्षण नहीं हो सकता. संक्रमण किसी को भी हो सकता है, जीने का अधिकार सभी को है. वैकल्पिक व्यवस्था सरकार बनाए. इसके बाद राज्य सरकार ने वैक्सिनेशन बंद कर दिया था.
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विभाग के आदेश में लिखी ये बातें
बता दें, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के जारी आदेश में कहा गया है कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सचिवों की एक समिति गठित की है. न्यायालय ने विभाग के 30 अप्रैल के आदेश को संशोधित करने को कहा है. कोर्ट के निर्देश के अनुसार राज्य शासन को पूरी जानकारी तैयार करने में समय लगने की संभावना है, ऐसे में यदि टीकाकरण जारी रखा गया तो यह न्यायालय की अवमानना होगी. इसलिए आदेश को संशोधन किए जाने तक टीकाकरण को स्थगित किया जाता है. इससे पहले याचिकाकर्ताओं द्वारा इसे संवैधानिक अधिकारों के विपरीत बताया था.