Electric Road In India: सीमेंस ने सबसे पहले जर्मनी की फ्रैंकफर्ट शहर में मई 2019 में इस तकनीक से सड़क बनाई. छह मील लंबी इस सड़क के ऊपर बिजली के विशाल केबल लगे हैं. इन केबल में 670 वोल्ट का करंट होता है. इलेक्ट्रिक ट्रक इन केबल से अपनी बैटरी को रिचार्ज करते हैं.
नई दिल्ली: अब तक आपने इलेक्ट्रिक कार (Electric Car) या गाड़ी के बारे में सुना होगा. लेकिन अब आप जल्द ही भारत में इलेक्ट्रिक रोड (E- Road) पर घूम सकेंगे. सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों. इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब इलेक्ट्रिक रोड बनाने पर भी जोर दे रही है.
वाहन की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटे
गौरतलब है कि ये रोड अपने ऊपर चलने वाले वाहनों को ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं, जिससे वाहनों को रिचार्ज होने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है. जर्मनी और भारत दोनों जगहों पर सीमेंस (Siemens) ई रोड बना रही है. इन रोड पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे और प्रदूषण भी बेहद कम होगा.
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर ई-रोड
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर एक लेन ई हाईवे की होगी. यह ई-लेन करीब 1300 किलोमीटर लंबी होगी. इससे लॉजिस्टिक का खर्च 70 फीसद तक कम हो जाएगा. राजमार्ग मंत्री ने बताया है कि इन ई- रोड पर उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिस तकनीक से जर्मनी में ई- हाईवे बनाए गए हैं.
पहले भी बनी है इस तकनीक से सड़क
सीमेंस ने सबसे पहले जर्मनी की फ्रैंकफर्ट शहर में इसी तकनीक से सड़क बनाई है जिसमें सड़क के ऊपर बिजली के विशाल केबल लगे हैं. इन केबल में 670 वोल्ट का करंट होता है. इनके नीचे से गुजरने वाले इलेक्ट्रिक ट्रक इन केबल से ऊर्जा हासिल करके अपनी बैटरी को रिचार्ज करते हैं.
तीन तकनीकों का इस्तेमाल
इस तरह के इलेक्ट्रिक रोड में मुख्य रूप से तीन तकनीकों का इस्तेमाल होता है. पहला, गाड़ियों के ऊपर पावर लाइन होती है, जैसा भारत में होता है. जमीन पर पटरी या अंडरग्राउंड क्वाएल से भी बिजली की आपूर्ति की जाती है. ओवरहेड केबल सबसे उन्नत तकनीक है, लेकिन गैर व्यावसायिक वाहनों के लिए ये कारगर नहीं है, क्योंकि कार की ऊंचाई बेहद कम होती है और ये बेहद ऊपर मौजूद केबल से ऊर्जा हासिल नहीं कर पाएंगे जबकि ई ट्रक के लिए ये केबल पहुंच में होंगे.