घर आराम का ही नहीं मन और स्वास्थ्य का भी संरक्षक है. घर सजा संवरा होना सुख देता है. चीजों का बिखराव असहजता बढ़ाता है. इनमें भी बिजली उपकरण और दवाइयों का फैला होना कलह और रोगों को बढ़ाता है.
आधुनिकता के दौर में घर बिजली और इलेक्ट्रानिक उपकरणों से भरा हुआ रहने लगा है. लैपटॉप, मोबाइल, कम्प्यूटर के अलावा फ्रिज, टीवी, रेडियो, टेलिफोन जैसे तमाम उपकरण घर में मौजूद रहते हैं. इन सभी उपकरणों का प्रयोग सुविधा अवश्य बढ़ाता है लेकिन घर में इनका बेतरतीब फैला होना और आवश्यकता से अधिक संख्या में होना कलह को बढ़ावा देता है.
कोशिश करें कि घर में पुराने मोबाइल, चार्जर, केबल एवं अन्य अनुपयोगी उपकरण इकट्ठा न होने पाएं. इनसे नकारात्मक उूर्जा निकलती है. इससे परिवार के लोग तनावग्रस्त होने लगते हैं. घर में आवश्यक उपकरण ही रखें. उचित जगह पर पूरी व्यवस्था के साथ रखें. इन उपकरणों को ढंककर रखना ज्यादा बेहतर है.
इसी प्रकार घर में दवाइयों को खुले में न रखें. इकट्ठा कर सेल्फ में व्यस्थित ढंग से रखें. जिस प्रकार महत्वपूर्ण कागजों की फाइलिंग की जाती है उसी प्रकार दवाइयों की संख्या अधिक होने पर उन्हें सजह मिल जाने की युक्ति के साथ रखें. खुले या टेबल पर पड़ीं दवाइयों रोग को दूर करने से कहीं ज्यादा रोग को दावत देती हैं. एक रोग मिटता है तो दूसरा लगने की आशंका बढ़ा देती हैं. जितनी जरूरी हो उतनी दवा खरीदें. अनावश्यक स्टोर करने की आदत से बचें.
दवाइयां रासायनिक होती हैं. राहु-केतु के रसायनों के प्रतिनिधि हैं. दवाइयों या अन्य रासायनिक पदार्थाें को खुले में रखना राहु-केतु के प्रभाव को बढ़ाना है. इससे घर में रोगों के बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है.