बैंक फ्रॉड के अधिकतर लोग को ठग ओटीपी के जरिए ही शिकार बनाते हैं. हालांकि, पेटीएम जैसे मोबाइल वॉलेट ऐप के जरिए भी केवाईसी का झांसा देकर ठग अकाउंट साफ कर जाते हैं. आमतौर पर ऐसी शिकायत पर बैंक भी पल्ला झाड़ लेते हैं. लॉकडाउन के बाद ऐसे मामलों में भारी इजाफा भी हुआ है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बैंक अकाउंट को लेकर सतर्क रहें. आगे हम आपको इससे बचने के लिए तरीके भी बताएंगे.
हाल ही में मुंबई के एक शख्स का बैंक के नाम पर कॉल किया जाता है. उसके बाद पेटीएम के जरिए पैसे ट्रांसफर करने की जानकारी दी जाती है. दिलचस्प बात है कि इस शख्स के पास न तो पेटीएम अकाउंट था और न ही वो इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं.
जब उन्होंने फोन चेक किया तो ओटीपी या बैलेंस संबंधित कोई मैसे नहीं आया था. लेकिन, इस बीच उनके अकाउंट से कई पेटीएम अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किया गया. ठगों ने उनके बैंक अकाउंट से कुल 42,368 रुपये साफ कर दिया था. पासबुक अपडेट कराने पर उन्हें इसकी जानकारी मिली.
इसके बाद पुलिस में शिकायत करने के बाद बैंक से इस फ्रॉड की पूरी जानकारी मांगी गई. पुलिस ने बैंक से जानकारी मांगी की ग्राहक को ओटीपी क्यों नहीं गया? फ्रॉड की पूरी जानकारी दी जाए और किस तरह से बैंकिंग डिटेल्स लीक हुआ. इस मामले की अभी जाचं चल रही है.
दरअसल, आजकल नये—नये तरीके बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दिया जा रहा है. भारतीय रिज़र्व बैंक भी आम लोगों को सतर्क करने के लिए समय—समय पर इसकी जानकारी देता है. आरबीआई के कैंपेन में फ्रॉड से बचने के तरीके बताए जाते हैं.
आरबीआई और बैंकिंग सेक्टर के जानकार कहते हैं कि आप इंटरनेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करते हैं तो आपको बहुत सावधानी रखनी होगी. किसी भी हालत में क्रेडिट या डेबिट कार्ड की डिटेल्स न दें. किसी भी पब्लिक वाई-फाई या इंटरनेट नेटवर्क से अपने बैंकिंग ट्रांजैक्शन न करें. बैंकिंग खाते को हमेशा मोबाइल नंबर के साथ अपडेट करें. बैंकिंग डिटेल्स जैसे डेबिट कार्ड की सीवीवी, नंबर या पिन मोबाइल में न रखें.
इसके अलावा आप किसी भी मोबाइल पेमेंट ऐप को ज्यादा अधिकार न दें. मुमकिन हो तो इंटरनेट पेमेंट या ऑनलाइन बैंकिंग के लिए एक ऐसा बैंक अकाउंट रखें, जिसमें ज्यादा पैसे न हों. हमेशा अपने मेन बैंक अकाउंट को कहीं भी लिंक करने से बचें. साथ ही आप बैंकिंग कस्टमर केयर की जानकारी रखें और ऐसी घटना होने पर तुरंत कार्ड ब्लॉक करें.