नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने लॉकडाउन (lockdown) के दौरान आत्म निर्भर भारत अभियान (Aatm Nirbhar Bharat Abhiyan) के तहत मात्र 2.51 करोड़ प्रवासी मजदूरों को ही अनाज वितरित किया है. उपभोक्ता एवं खाद्य मंत्रालय की मानें तो अनाज कम वितरण बताता है कि प्रवासी मजदूरों की वास्तविक संख्या काफी कम थी. लॉकडाउन के बाद से ही केंद्र सरकार बिना राशन कार्ड वालों को मुफ्त राशन देती आ रही है. यह योजना केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतगर्त शुरू की गई थी, लेकिन लोगों को इस योजना के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं होने के कारण लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि, कुछ लोगों ने आवेदन करने के बावजूद भी राशन न मिलने की बात कही है. आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत उन प्रवासियों को मुफ्त राशन मिलना है, जिनका देश में कहीं भी राशन कार्ड (Ration Card) नहीं है. इसके तहत प्रत्येक सदस्य को हर महीने पांच किलो चावल या गेहूं और प्रति परिवार एक किलो के हिसाब से चना दिया जाना है.
लॉकडाउन के दौरान शुरू की गई थी योजना
लॉकडाउन के दौरान ही पीएम मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के विस्तार की मंजूरी दी थी. केंद्र सरकार ने पिछले दिनों ही PMGKAY के तहत 81 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को नवंबर 2020 तक मुफ्त में अनाज देने का ऐलान किया था. साथ ही इस योजना में उन लोगों को भी अनाज दिया जा रहा है जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं. जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उनको इस योजना का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड होना जरूरी है. इस योजना के तहत गुलाबी, पीले और खाकी राशन कार्डधारक को 5 किलो प्रति सदस्य गेहूं या चावल और एक किलो दाल प्रति परिवार को फ्री में दिया जाएगा.
ऐसे में अगर किसी कार्डधारकों को मुफ्त आनाज लेने में दिक्कत आ रही है तो वह इसकी शिकायत संबंधित जिला खाद्य एवं पूर्ति नियंत्रक कार्यालय में या फिर राज्य उपभोक्ता सहायता केंद्र पर कर सकते हैं. इसके लिए सरकार ने टोल फ्री नंबर 1800-180-2087, 1800-212-5512 और 1967 जारी किया है. उपभोक्ता अपनी शिकायत इन नंबरों पर दर्ज करवा सकते हैं. कई राज्य सरकारों ने अलग से भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं.
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने देश के नाम संबोधन में कहा था कि गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के सभी गरीब परिवारों को जिनके पास राशन कार्ड है या जिनके पास नहीं है सभी को 5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो चना मुफ्त में दिए जाएंगे. शुरुआत में इसकी अवधि 30 जून तक निर्धारित की गई थी, जिसे बाद में नवंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है. इसके बावजूद गरीब मजदूरों को यह अनाज नहीं मिले हैं.