EPFO: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में आर्थिक पैकेज का एलान करते समय EPF के मोर्चे पर कर्मचारियों और कंपनियों को राहत दी थी. मोदी सरकार ने संस्थानों और कर्मचारियों के लिए तीन महीने तक EPF योगदान को 12-12 फीसदी से घटाकर 10-10 फीसदी कर दिया गया था. मई, जून और जुलाई 2020 के लिए ईपीएफ योगदान 24 फीसदी से घटकर 20 फीसदी हो गया था. EPF की घटी हुई राशि का फायदा अब खत्म होने जा रहा है. अगस्त से EPF योगदान दोबारा 24 फीसदी (12 फीसदी कर्मचारी और 12 फीसदी नियोक्ता) होगा.
EPF योगदान का नियम
EPF स्कीम के नियमों के मुताबिक, कर्मचारी हर महीने अपनी सैलरी में बेसिक वेतन प्लस डीए का 12 फीसदी अपने ईपीएफ अकाउंट में योगदान देता है. इसके साथ नियोक्ता को भी समान रुप से 12 फीसदी का योगदान करना होता है. तो कुल मिलाकर कर्मचारी के ईपीएफ अकाउंट में 24 फीसदी का योगदान होता है.
इस कुल 24 फीसदी योगदान में से कर्मचारी का हिस्सा (12 फीसदी) और नियोक्ता का 3.67 फीसदी हिस्सा EPF अकाउंट में जाता है. जबकि बाकी बचा नियोक्ता का 8.33 फीसदी हिस्सा एंप्लॉयज पेंशन स्कीम (EPS) अकाउंट में जाता है.
सरकार ने क्यों दी थी राहत ?
कोरोना वायरस महामारी की वजह से आर्थिक संकट के बीच कंपनियों और कर्मचारियों को राहत देने के लिए सरकार ने ईपीएफ योगदान में कटौती का फैसला लिया था. सरकार ने बताया था कि इस एलान से ईपीएफओ में कवर होने वाली लगभग 6.5 लाख कंपनियों और 4.3 करोड़ कर्मचारियों को फायदा मिलेगा.
यह स्कीम उन कर्मचारियों पर लागू होगी जो पीएम गरीब कल्याण पैकेज और उसके विस्तार के तहत 24 फीसदी का ईपीएफ सपोर्ट नहीं ले रहे हैं. इसका मकसद कर्मचारियों की घर ले जाने वाली सैलरी को बढ़ाना और नियोक्ताओं को पीएफ बकाया के भुगतान के मोर्चे पर राहत देना था.