कोरोना वायरस संकट के बीच जहां दुनियाभर की कंपनियों को घाटा झेलना पड़ रहा है. वहीं, सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने शानदार तिमाही नतीजे जारी किए है. अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी की आमदनी 11 फीसदी बढ़ गई है. अब सवाल ये उठता है कि फेसबुक की सभी सर्विस फ्री हैं, लेकिन उसकी कमाई का जरिया क्या है? आइए जानते हैं इसके बारे में…
आइडिया बनी कंपनी-होस्टल के कमरे से शुरू हुआ एक छोटा आइडिया आज एक ग्लोबल प्रोजेक्ट बन गया है, दुनिया की लगभग एक चौथाई जनसंख्या आज फेसबुक की रजिस्टर्ड यूजर में शामिल है. रोजाना तकरीबन 180 करोड़ लोग फेसबुक पर लाइक, कमेंट के साथ-साथ तस्वीरें भी डालते हैं. अगली स्लाइड में जानिए कंपनी कैसे करती है कमाई-
कंपनी कैसे करती है कमाई- एक्सपर्ट्स के मुताबिक फेसबुक पर औसतन हर एक यूजर दिन के करीब 58 मिनट बिताता है. पिछले कुछ सालों में कंपनी की कुल आय तीन गुना तक बढ़ी है. 30 जुलाई 2020 को कंपनी की ओर से जारी नतीजों के मुताबिक कंपनी प्रति यूजर्स आमदनी (ARPU-Average Revenue Per Users) 6.76 डॉलर (करीब 507 रुपये) से बढ़कर 7.06 डॉलर (करीब 529 रुपये) हो गया है. अगर आसान शब्दों में कहें तो कंपनी अपने हर यूजर्स के जरिए 500 रुपये से ज्यादा की कमाई कर रही है.
फ्री सर्विस-अब सवाल है कि जब फेसबुक की सारी सुविधायें यूजर्स के लिए फ्री हैं तो पैसा कहां से आता है. सीधे तौर पर बेशक फेसबुक अपने यूजर्स से पैसा नहीं लेता, लेकिन ये यूजर्स के डाटा बेस को इकट्ठा करता है और उन्हें कारोबारी कंपनियों को बेचता है. आपका हर एक क्लिक आपको किसी न किसी कंपनी से जोड़ता है.
डाटा के बदले पैसा-फेसबुक अपने यूजर डाटा बेचकर कंपनियों से पैसे कमाता है. मसलन कई बार आपसे किसी साइट या किसी कंपनी में रजिस्टर होने से पहले पूछा जाता है कि क्या आप बतौर फेसबुक यूजर ही आगे जाना चाहते हैं और अगर आप हां करते हैं तो वह साइट या कंपनी आपकी सारी जानकारी फेसबुक से ले लेती है.
विज्ञापनों के जरिए-दूसरा तरीका है विज्ञापन, अपने गौर किया होगा कि आपको अपने पसंदीदा उत्पादों से जुड़े विज्ञापन ही फेसबुक पर नजर आते होंगे. मसलन अगर आपने पसंदीदा जानवर में कुत्ता डाला तो आपके पास कुत्ते के खाने से लेकर उनके स्वास्थ्य से जुड़े तमाम विज्ञापन आयेंगे.
ऑडियंस टारगेटिंग-सारा खेल इन विज्ञापनों की प्लेसिंग का है. इस प्रक्रिया को टारगेटिंग कहते हैं. फेसबुक मानवीय व्यवहार से जुड़ा ये डेेटा न सिर्फ कंपनियों को उपलब्ध कराता है, बल्कि तमाम राजनीतिक समूहों को भी उपलब्ध कराता है.
कोई जिम्मेदारी नहीं-फेसबुक किसी डाटा की जिम्मेदारी नहीं लेती और न ही इसकी सत्यता की गारंटी देती है. डिजिटल स्पेस की यह कंपनी अब तक दुनिया के टॉप -10 कीमती ब्रांड बन गया है. कंपनी ने कई छोटी कंपनियों को खरीदकर बाजार में अपनी एक धाकड़ छवि बना ली है.