नई दिल्ली. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने कुछ ऐसे लोगों की पहचान की है, जिन्होंने काफी मोटा लेनदेन करने के बावजूद आकलन वर्ष 2019-20 (Assessment Year 2019-20) (वित्त वर्ष 2018-19 के संदर्भ में) के लिए रिटर्न (ITR) दाखिल नहीं किया है या उनके रिटर्न में कमियां हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एक बयान में कहा कि आकलन वर्ष 2019-20 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने और संशोधित करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2020 है. विभाग करदाताओं की सुविधा के लिए स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को लेकर 20 जुलाई से ई-अभियान(e-campign) शुरू करेगा.
सीबीडीटी ने कहा कि डेटा विश्लेषण से कुछ ऐसे करदाताओं (Taxpayers) के बारे में पता चला है, जिन्होंने काफी अधिक लेनदेन किया है, लेकिन उन्होंने आकलन वर्ष 2019-20 (वित्त वर्ष 2018-19 के संदर्भ में) के लिए रिटर्न दाखिल नहीं किया है. रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों के अलावा रिटर्न फाइल करने वाले कई ऐसे लोगों की पहचान हुई है, जिनके अधिक धनराशि वाले लेनदेन और उनके इनकम टैक्स रिटर्न आपस में मेल नहीं खाते हैं. विभाग ने बताया कि 11 दिनों तक चलने वाला ई-अभियान 31 जुलाई 2020 को खत्म होगा और इस दौरान उन लोगों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिन्होंने या तो रिटर्न दाखिल नहीं किया है, या उनके रिटर्न में विसंगतियां हैं.
बयान के मुताबिक ई-अभियान योजना के तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट चिन्हित लोगों को ई-मेल या एसएमएस भेजेगा, ताकि प्राप्त सूचना के अनुसार उनके लेनदेन का सत्यापन किया जा सके. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को यह सूचना वित्तीय लेनदेन विवरण (SFT), स्रोत पर कर कटौती (TDS), स्रोत पर कर संग्रह (TCS) और विदेश से धनप्राप्ति (Form 15CC) जैसे दस्तावेजों से मिली है.
सीबीडीटी ने कहा कि ई-अभियान का मकसद करदाताओं को कर या वित्तीय लेनदेन संबंधी जानकारी को ऑनलाइन सत्यापित करने में मदद करना और स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति को बढ़ावा देना है.