नई दिल्ली. अगर आप अपने बैंक अकाउंट या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट से ज्यादा कैश विड्रॉल (Cash Withdrawal from Savings Account) करते हैं तो आपको TDS (Tax Deducted at Source) देना पड़ सकता है. इनकम टैक्स विभाग ने टीडीएस के नियमों में बदलाव किया है, जिसे 1 जुलाई 2020 से लागू भी कर दिया गया है. साथ ही, इन नियमों में बदलाव के बाद ग्राहकों को अन्य जानकारियां देनी भी अनिवार्य हो जाएंगी. हाल ही में जारी एक नोटिफिकेशन में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने टीडीएस फॉर्म्स में बदलाव करने की जानकारी दी है. फाइनेंस एक्ट 2020 के तहत यह बदलाव किया गया है.
रिवाइज किए गए ये फॉर्म्स
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने फॉर्म 26Q और 27Q के फॉर्मेट को भी रिवाइज किया है, जिसमें विभिन्न आवासीय भुगतान पर टीडीएस कटने और डिपॉजिट करने के बारे में जानकारी देनी है. इसमें गैर-आवासीय भुगतान पर कटने वाले टीडीएस के बारे में भी जानकारी देनी होगी.
नियम 31A में संशोधन के बाद यह अनिवार्य हो गया है कि टैक्सपेयर्स उस रकम के बारे में भी जानकारी दे, जिसका उन्होंने भुगतान किया है या क्रेडिट किया है लेकिन इस पर टैक्स नहीं कटा है या कम दर पर टैक्स कटा है.
देनी होंगी ये जानकारियां
एक्सपर्ट्स का कहना है कि पहले की तुलना में नया टीडीएस फॉर्म व्यापक है. इसमें जिस रकम पर टीडीएस कटा है, उसके बारे में जानकारी तो देनी ही होगी. लेकिन, इसके अलावा अब टैक्सपेयर्स को वो रकम भी डिसक्लोज करना अनिवार्य होगा, जिसपर किसी वजह से टीडीएस नहीं कटा है. कम दर पर टीडीएस कटने या टीडीएस बिल्कुल ने कटने की विभिन्न स्थिति के लिए अलग-अलग कोड उपलब्ध कराए गए हैं.
तय लिमिट से ज्यादा कैश निकालने पर देना होगा टीडीएस
इसे 1 जुलाई 2020 से ही लागू कर दिया गया है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टीडीएस नियमों में संशोधन करते हुए ज्यादा मदों में कैश विड्रॉल करने वालों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न से लिंक कर दिया है. इसमें कोई भी बैंक, सहकारी संस्थान या पोस्ट ऑफिस से कैश निकालने वालों को शामिल किया जाएगा.
इनकम टैक्स भरने की स्थिति में: इसके तहत, अगर कोई व्यक्ति बीते 3 साल से इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर रहा है और सालाना 1 करोड़ रुपये तक का कैश विड्रॉल करता है तो उन्हें कोई टीडीएस नहीं देना होगा. लेकिन, कैश विड्रॉल की रकम 1 करोड़ रुपये से अधिक होती है तो उन्हें 2 फीसदी टीडीएस देना होगा.
इनकम टैक्स नहीं भरने की स्थिति में: इस नियम में यह भी कहा गया है कि अगर किसी ने पिछले 3 साल में इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं किया है और सालाना 20 लाख रुपये तक कैश विड्रॉल करता है तो उन्हें टीडीएस नहीं देना होगा. वहीं, आईटीआर दाखिल नहीं करने की स्थिति में 20 लाख 1 रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये तक के कैश विड्रॉल पर 2 फीसदी टैक्स देना होगा. एक करोड़ रुपये से अधिक के कैश विड्रॉल पर यह दर 5 फीसदी होगी.