डेल्टा वेरिएंट को झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर का कारण माना जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ विशेषज्ञों का कहना है कि संभावित तीसरी लहर का मुख्य कारण भी डेल्टा प्लस हो सकता है। इसे देखते हुए स्वास्थ्य महकमा तैयारी में जुट गया है। विभाग के द्वारा अब डेल्टा प्लस संक्रमित स्टेट से आने वाले यात्रियों की गहन निगरानी होगी।
स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार देश में केरल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश डेल्टा प्लस स्टेट की श्रेणी में आते हैं। इन तीनों राज्यों से झारखंड आने वाले शत-प्रतिशत यात्रियों की कोरोना जांच की जाएगी। इसके लिए रेलवे के डीआरएम को जल्द पत्र भेजा जाएगा। उक्त तीनों राज्यों से आने वाली ट्रेनों के यात्रियों का ब्योरा मांगा जाएगा। तीनों राज्यों से आने वाली ट्रेनों के झारखंड के जिन स्टेशनों पर ठहराव है, वहां उतरने वाले यात्रियों का ब्योरा लेकर उनकी जांच की जाएगी।
बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह पहले ही राज्य में प्रवेश वाले प्वाइंट पर यात्रियों की जांच सुनिश्चित करने का निर्देश दे चुके हैं। साथ ही सभी उपायुक्तों को पांच सूत्री रणनीति टेस्ट, ट्रैक, आयसोलेट, ट्रीट और टीकाकरण पर गंभीरतापूर्वक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। रिम्स के पल्मोनरोलॉजी विभाग के एचओडी सह कोविड नोडल अफसर डॉ ब्रजेश मिश्रा कहते हैं कि डेल्टा प्लस वेरिएंट फेफड़े की कोशिकाओं के रिसेप्टर से चिपकने के बाद श्वास तंत्र को काफी तेजी से नुकसान पहुंचाता है। यह वेरिएंट इसलिए भी ज्यादा डराने वाला है कि अन्य देशों में इसका प्रभाव पहले से देखा जा चुका है। अनुमान है कि तीसरी लहर डेल्टा प्लस वेरिएट के चलते आ सकती है।
डेल्टा प्लस खतरनाक, डरना जरूरी
डॉ ब्रजेश मिश्रा का कहना है कि जिस तरह से लोगों की लापरवाही बढ़ती जा रही है और लोग बेखोफ होकर घूम रहे हैं, उससे लगता है कि हमने अपनी पिछली गलतियों से कुछ नहीं सीखा। उन्होंने बताया कि राज्य में पहली लहर और दूसरी लहर के बीच यही स्थिति थी, जो आज है। दूसरी लहर से पहले हमसे जो गलतियां हुई थीं, अगर फिर से वहीं दोहराई जाएगी तो यह तीसरी लहर का कारण बन सकती है। डेल्टा वेरिएंट की वजह से कोरोना की दूसरी लहर का सामना करना पड़ा था, यदि हमारी सावधानी नहीं बढ़ी तो डेल्टा प्लस तीसरी लहर का कारण बन सकती है।
वैक्सीन की डोज लगने के बाद भी हुए संक्रमित
डॉ ब्रजेश मिश्रा के अनुसार, अध्ययन में पाया गया है कि वैक्सीन की डोज लगने के बाद भी कुछ लोग संक्रमित हुए हैं। हालांकि इनमें वैसे लोग ज्यादा थे, जिन्होंने केवल एक ही डोज ली थी। वैक्सीन की दोनों डोज लेने के बाद संक्रमण की संभावना क्षीण हो जाती है। यदि संक्रमित हुए भी तो स्थिति सामान्य ही रहती है। ऐसी स्थिति नहीं होती है कि मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़े। जबकि दोनों डोज लेने के बाद संक्रमितों की मौत की संभावना लगभग 98 प्रतिशत तक कम हो जाती है, इसलिए जरूरी है कि हम कोविड एप्रोप्रिएट विहैवियर (मास्क, हैंडवाश, सोशल डिस्टेंसिंग) का पालन करें और टीका जरूर लें।