केरल विधानसभा (Kerala Assembly) में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन (V D Satheesan) ने 2015 के सदन में हंगामे से जुड़े मामले में शिक्षा मंत्री वी सिवनकुट्टी (V. Sivankutty) के इस्तीफे की मांग को शुक्रवार को फिर दोहराया. विधानसभा में कार्यवाही के दौरान सतीशन ने कहा कि राज्य के तत्कालीन वित्त मंत्री केएम मणि (KM Mani) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने को लेकर हंगामा हुआ था. उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) से कहा कि वह ऐसी पार्टी के मुख्यमंत्री हैं, जिसके सदस्य ने मणि के इस्तीफे की मांग पर उस वक्त हंगामा किया था.
कांग्रेस नेता ने कहा कि विपक्ष सिवनकुट्टी के इस्तीफे की मांग पर अडिग है और उनके मंत्री पद पर बने रहने के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है, क्योंकि हंगामे वाली घटना के सिलसिले में उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है. मुख्यमंत्री ने सतीशन की मांग पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और प्रश्नकाल जारी रहा जिस पर विपक्ष (UDF) के नेताओं ने सिवनकुट्टी के इस्तीफे की मांग करते हुए नारेबाजी करनी शुरू कर दी. उन्होंने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार भी किया. विजयन ने शिक्षा मंत्री के इस्तीफे की मांग को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया था. मुख्यमंत्री के रुख के बाद, विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया था.
यूडीएफ ने कल विधानसभा में उठाया मुद्दा
कांग्रेस नीत यूडीएफ ने राज्य विधानसभा में कल छह साल पुरानी घटना को उठाया था. एक दिन पहले ही बुधवार को उच्चतम न्यायालय ने मामले में सिवनकुट्टी समेत एलडीएफ के विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले को वापस लेने की सरकार की याचिका को खारिज कर दिया था. यूडीएफ ने कहा कि सिवनकुट्टी के लिए मंत्री के पद पर रहना ‘अनुचित’ होगा, जबकि शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया है कि मार्क्सवादी नेता को न्यायिक मुकदमे का सामना करना होगा और मुख्यमंत्री को नैतिक आधार पर या तो उनका इस्तीफा मांगने के लिए या उन्हें पद से हटाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
इस्तीफे का सवाल ही नहीं
हालांकि, विजयन ने उनकी मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि अदालत ने किसी व्यक्ति विशेष को दोषी नहीं पाया या किसी का नाम नहीं लिया और इसलिए इस्तीफे का सवाल नहीं उठता है. एलडीएफ के विधायकों की संलिप्तता वाले मामले को वापस लेने की याचिका के साथ शीर्ष अदालत समेत विभिन्न अदालतों का रुख करने के सरकार के कदम को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा के अंदर विरोध के नाम पर एक विधायक के खिलाफ आपराधिक मामला उठाना कभी नहीं सुना होगा.
पहले ही हो चुकी है कार्रवाई
उन्होंने यह भी कहा कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आरोपी विधायकों के खिलाफ पहले ही कार्रवाई कर चुके थे और उन्हें सदन से निलंबित कर दिया गया था. साथ ही कहा कि एक अपराध के लिए दो सजाएं देना हमारी कानूनी अवधारणा के मूल सिद्धांत के खिलाफ है. केरल विधानसभा में 2015 में हुए हंगामे पर शीर्ष अदालत के फैसले से राज्य में दो महीने पुरानी दूसरी पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार को झटका लगा है . शीर्ष अदालत ने इस सिलसिले में एलडीएफ विधायकों के खिलाफ अपराधिक मामला वापस लेने की याचिकाओं को बुधवार को खारिज कर दिया था.