नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Head and Neck Cancer: दुनियाभर में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका खुलासा अमेरिका की सेंट लुइस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च के माध्यम से किया। इसके अनुसार पिछले बीस साल के दौरान युवाओं और किशोरों में सिर और गर्दन के कैंसर के मामलों में 51 फीसदी बढ़े हैं। भारत में भी हर साल इस कैंसर के 12 लाख नए मामले सामने आते हैं।
सिर और गर्दन का कैंसर आमतौर पर स्क्वैमस कोशिकाओं से शुरू होता है, जो सिर और गर्दन के अंदर नम और म्युकोसल सतह में पाई जाती हैं, जैसे मुंह, नाक और गले के अंदर की तरफ। सिर और गर्दन में पाए जाने वाले इस तरह के कैंसर को स्क्वैमस सैल कैंसर भी (Squamous cell cancer) कहा जाता है। इस तरह का कैंसर सैलाइवरी ग्लैंड्स में भी शुरू हो सकता है, लेकिन ऐसे मामले कम देखे जाते हैं।
50 के ऊपर के पुरुषों में ज़्यादा देखा जाता है
50 की उम्र के बाद सिर और गर्दन के कैंसर के मामले महिलाओं की तुलना में पुरुषों में ज़्यादा देखने को मिलते हैं। आमतौर पर इस तरह के कैंसर का मुख्य कारण तंबाकू और शराब का सेवन है।
सिर और गर्दन के कैंसर के शुरुआती लक्षण
डॉ. एस.एम शुऐब ज़ैदी, सीनियर कन्सलटेन्ट, सर्जिकल ओंकोलोजी, इन्द्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली ने कहा, “कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं अनियन्त्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाती हैं। अगर सिर और गर्दन में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगें तो इसे सिर और गर्दन का कैंसर कहते हैं। इसके शुरुआती लक्षण हैं:
– नाक से खून आना
– जबड़े में दर्द और सूजन
– मुंह में गांठ या घाव जो ठीक न हो
समय पर निदान के द्वारा इस रोग का इलाज संभाव है। रोग की रोकथाम के लिए तम्बाकू का सेवन न करें और शराब के सेवन से बचें, क्योंकि इससे कैंसर का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।”
डॉ. ज़ैदी कहते हैं, “आमतौर पर मुंह का कैंसर मुंह में असामान्य गांठ के रूप में शुरू होता है, लेकिन अक्सर कुछ घाव तीन सप्ताह तक दिखाई नहीं देते, ये भी मिंह के कैंसर की शुरुआती संकेत हो सकते हैं। इसके कारण मुंह में दर्द या असहजता हो सकती है। इसके अलावा मुंह में सफेद या लाल धब्बे भी कैंसर की शुरुआत का संकेत हो सकते हैं। ये घाव ल्युकोपेनिया या एरिथ्रोप्लाकिया कहलाते हैं। इस तरह के घावों का मुख्य कारण तम्बाकू या शराब का सेवन होता है। इन पदार्थों का सेवन न करने और ओरल हाइजीन का ध्यान रखने से इन घावों को रोका जा सकता है।”