टॉप 10 सीवी ब्रैंड्स में शामिल होने के लिए अशोक लीलैंड कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार है. स्विच मोबिलिटी के साथ गठजोड़ कर कंपनी ने भारत में दिसंबर तक कुछ कमाल कर सकती है.
कमर्शियल व्हीकल्स प्रमुख अशोक लीलैंड ने बुधवार को अपने इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) रोड मैप को दुनिया के शीर्ष 10 सीवी ब्रैंड्स में से एक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया. कंपनी का ईवी पुश यूके स्थित स्विच मोबिलिटी के माध्यम से किया जाएगा जो अशोक लीलैंड के इलेक्ट्रिक सीवी ऑपरेशंस और यूके के तत्कालीन ऑप्टारे (Optare) की संयुक्त एंटाइटी है. स्विच मोबिलिटी दिसंबर के अंत तक भारत में अपना पहला इलेक्ट्रिक लाइट कमर्शियल व्हीकल (e-LCV) लॉन्च करेगी; इसने 2,000 ऑर्डर हासिल किए हैं.
इन वाहनों का निर्माण भारत में किया जाएगा और स्विच ब्रैंड के तहत बेचा जाएगा. ग्रुप की अगले कुछ वर्षों में ईवी क्षेत्र में 150-200 मिलियन डॉलर निवेश करने की योजना है. अशोक लीलैंड ने बुधवार को कहा कि उसने स्विच मोबिलिटी में करीब 136 मिलियन डॉलर का निवेश किया है और उम्मीद है कि नई इकाई भविष्य में अपनी पूंजी जुटाएगी.
अशोक लीलैंड और स्विच मोबिलिटी के चेयरमैन धीरज हिंदुजा ने कहा, ‘निवेशक और रणनीतिक साझेदार गठजोड़ करना चाहते हैं. ऐसे में हमें अशोक लीलैंड से तत्काल फंड की जरूरत नहीं दिख रही है.’ यह 2013 में था कि हिंदुजा प्रमुख कंपनी अशोक लीलैंड ने पहली बार ब्रिटिश बस निर्माता ऑप्टारे पीएलसी का अधिग्रहण करके ईवी स्पेस में रुचि दिखाई थी, जबकि उसने तीन साल पहले भारत में ईवी योजनाएं तैयार की थीं. कंपनी के पास पहले से ही विशेषज्ञता है – उसके पास टेस्ट के आधार पर 26 मिलियन मील से अधिक की सेवा में 280 से अधिक ईवी हैं.
इससे पहले बुधवार को, प्रबंधन ने विकास के अवसर (growth opportunity) दिखाने के लिए भारत और लंदन के प्रमुख निवेशकों को शामिल किया और कहा कि ग्लोबल स्पेस पर कमर्शियल ई-मोबिलिटी स्पेस को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका स्विच मोबिलिटी निभाएगी.
हिंदुजा ने स्पष्ट किया कि कंपनी ईवी स्पेस में अपने बसों और हल्के वाहनों पर ध्यान केंद्रित करेगी और ई-कारों में वेंचर नहीं करेगी. बता दें कि, वैश्विक इलेक्ट्रिक बस बाजार 2030 तक लगभग 70 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. नई इकाई भारत और यूके को लक्षित करेगी. कंपनी की रणनीति लीड्स में अपनी सुविधा के अलावा, देश में अपनी मौजूदा सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए भारत को एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उपयोग करने की है.