फ्रांस इस साल के अंत तक भारत को कुल 35 ओमनी रोल लड़ाकू विमान राफेल (Rafale) की डिलीवरी करेगा. जबकि एक आखिरी लड़ाकू विमान उत्तर बंगाल के हाशिमारा एयर बेस पर एक्टिव होने के लिए जनवरी 2022 में सोलो जर्नी करेगा. 26 लड़ाकू विमानों की डिलीवरी फ्रांस द्वारा पहले ही की जा चुकी है. जिनमें से 24 विमानों को भारत में उतारा गया है, जबकि दो लड़ाकू विमानों को भारतीय वायुसेना के पायलट और तकनीशियन प्रशिक्षण के लिए फ्रांस में ही रखा गया है.
सामरिक सहयोगी फ्रांस की विश्वसनीयता को देखते हुए भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय नौसेना ने पॉवर रेश्यो और समुद्री हमले की क्षमता की वजह से राफेल में गहरी दिलचस्पी दिखाई है. भारतीय वायुसेना भविष्य में 36 और राफेल हासिल करना चाहती है, जबकि नौसेना राफेल-एम को अगले साल शुरू होने वाले आईएनएस विक्रांत (स्वदेशी विमान वाहक -1) पर एक लड़ाकू विकल्प के रूप में देख रही है.
भारत की युद्ध करने की क्षमता कई गुना बढ़ी
पश्चिमी और पूर्वी थिएटर में राफेल के शामिल होने के बाद भारत की युद्ध करने की क्षमता कई गुना बढ़ गई है. फ्रांसीसी फाइटर, उपमहाद्वीप में सबसे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली उल्का मिसाइल, हवा से जमीन पर मार करने वाली हैमर मिसाइल और SCALP मिसाइल से लैस हैं.
राफेल की मौजूदगी से सैन्य शक्ति को मिलेगा बढ़ावा
आपातकालीन खरीद के तहत भारत द्वारा अधिग्रहित हैमर मिसाइल को 70 किमी से अधिक ऊंचाई वाले लक्ष्य को साधने के लिए मात्र 500 फीट की ऊंचाई पर छोड़ा जा सकता है. फ्रेंच राफेल की डिलीवरी समय से थोड़ी आगे चल रही है. भारत के पूर्वी क्षेत्र में राफेल की मौजूदगी से इस क्षेत्र में सैन्य प्रतिक्रिया को बढ़ावा मिलेगा, जिसमें सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश दोनों ही रक्षा प्राथमिकता हैं.