मान लें कि पहले क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1 लाख थी और आउटस्टैंडिंग ड्यूज 25,000 रुपये आता था. क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाकर 60,000 करने पर यूटिलाइजेशन रेट 25 परसेंट से बढ़कर 42 परसेंट पर जा सकती है.
क्या आपका लोन एप्लिकेशन बार-बार खारिज हो रहा है? अगर ऐसा है तो अपना क्रेडिट स्कोर पता करें. उससे कई बातें साफ हो जाएंगी जो आपके क्रेडिट और लोन से जुड़ी होंगी. क्रेडिट स्कोर से आपके क्रेडिट व्यवहार का पता चलता है. यह स्कोर यह भी बताता है कि आप कितना तक लोन पा सकते हैं. सिबिल, इक्विफैक्स, हाईमार्क जैसी एजेंसियां क्रेडिट इनफॉरमेशन ब्यूरो हैं जो क्रेडिट स्कोर के बारे में जानकारी देती हैं. ये एजेंसियां आपकी क्रेडिट योग्यता के बारे में बताती हैं और क्रेडिट स्कोर को 300 से 900 के बीच आंकती हैं. लोन लेने वाले लोग या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने वाले लोगों का ब्योरा बैंकों की तरफ से क्रेडिट ब्यूरो को भेजा जाता है जिसके बाद क्रेडिट व्यवहार के बारे में पता चलता है.
ऐसा माना जाता है कि किसी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 750 के आसपास होना चाहिए. क्रेडिट स्कोर जितना ज्यादा होगा, लोन लेने की योग्यता उतनी ज्यादा होगी. ऐसी स्थिति में लोन एप्लीकेशन आसानी से पास होगा और कुछ प्रक्रिया के बाद लोन जारी कर दिया जाएगा. आइए जानते हैं कि वो कौन सी गलतियां हैं जिनसे क्रेडिट स्कोर गिरता है और लोन लेने में दिक्कत आती है.
1-समय पर लोन नहीं चुकाने पर क्या होगा
समय पर लोन नहीं चुकाते हैं तो क्रेडिट स्कोर पर बड़ा असर पड़ सकता है. बकाए को लेकर सभी रेटिंग एजेसियां कड़ी निगाह रखती हैं. इसमें यह देखा जाता है कि लोन लेने वाला या क्रेडिट कार्ड से खर्च करने वाला व्यक्ति कितनी आसानी से ड्यूज पेमेंट कर देता है. फोन, बिजली, पानी आदि का बिल भी देखा जाता है कि कितनी जल्दी चुकाया जा रहा है. अगर आप इसमें देरी करेंगे तो क्रेडिट स्कोर के लिहाज से यह बड़ी गलती होगी.
2-क्रेडिट कार्ड और लोन के लिए कई आवेदन
जब आप किसी एक बैंक को या अलग-अलग कई बैंकों को लोन के लिए एप्लीकेशन देते हैं तो इसे अच्छा नहीं माना जाता. इससे पता चलता है कि आपके आवेदन पर जल्दी कार्रवाई नहीं हो रही क्योंकि कोई खामी रही होगी. आप किस तरह का लोन चाहते हैं और कितना चाहते हैं, यह एप्लीकेशन को पास करने के लिए देखा जाता है. इसके लिए पूर्व के क्रेडिट स्कोर देखे जाते हैं. मान लीजिए आपने कई क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया है लेकिन पुराने बिल चुकाने में असमर्थ रहे हैं तो इससे क्रेडिट स्कोर घटता है. बार-बार एप्लिकेशन यह दिखाता है कि आपको क्रेडिट की बहुत जरूरत है. यह स्थिति अच्छी नहीं मानी जाती.
3-क्रेडिट कार्ड पर महंगी खरीदारी न करें
क्रेडिट कार्ड पर महंगी खरीदारी करें या उसकी अधिकांश लिमिट खर्च करें, लेकिन बिल समय पर चुका दें. अगर पूरा पैसा नहीं चुकाते और मिनिमम ड्यूज ही चुकाते हैं तो इससे कर्ज के जाल में फंस सकते हैं. एक महीने का क्रेडिट दूसरे महीने में जाता है तो ब्याज बढ़ता जाता है और उससे आपका क्रेडिट स्कोर गिरता है. इसलिए क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेट को हमेशा 30 परसेंट के आसपास रखें और समय पर बिल चुकाते रहें. क्रेडिट कार्ड से महंगी खरीदारी करने से बचें. अगर करते हैं समय से बिल चुका दें.
4-क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाना
क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़वाना यूटिलाइजेशन रेट बढ़ाने के लिए अच्छा होता है. इसके ठीक उलटा अगर लिमिट घटाते हैं तो यूटिलाइजेशन रेट घटती है. आप कार्ड से कम खरीदारी कर सकेंगे जिससे कि यूटिलाइजेशन रेट पर प्रभाव होगा. मान लें कि पहले क्रेडिट कार्ड की लिमिट 1 लाख थी और आउटस्टैंडिंग ड्यूज 25,000 रुपये आता था. क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाकर 60,000 करने पर यूटिलाइजेशन रेट 25 परसेंट से बढ़कर 42 परसेंट पर जा सकती है. यह आगे चलकर लोन लेने में दिक्कत करेगा. इससे बचने के लिए क्रेडिट कार्ड की लिमिट घटाने के बारे में न सोचें. अगर क्रेडिट कार्ड पर ज्यादा चार्ज नहीं आता तो उसे कैंसिल भी न कराएं.
5-लोन पहले चुकाकर उसे बंद न करें
लोन चुकाकर आप भले ही जल्दी फ्री हो जाएंगे लेकिन इसका निगेटिव असर क्रेडिट स्कोर पर देखा जा सकता है. खासकर आपने सिक्योर्ड लोन लिया है तो. लोन फोरक्लोजर होने से क्रेडिट हिस्ट्री घटती है और इससे क्रेडिट अकाउंट को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा. लोन फोरक्लोजर के लिए बैंक आप से अतिरिक्त पैसे ले सकता है. यह लोन और रीपेमेंट के पैसे के सोर्स पर निर्भर करेगा. इसलिए लोन फोरक्लोजर से पहले उसके नफा और नुकसान के बारे में जरूर जान लें.