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Covid-19 के Delta Variant से जंग हुई मुश्किल? चुनौती से पार पाने के लिए हो रहा ये काम

स्टडी में पाया गया कि कोरोना वायरस (Coronavirus) के डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) से अस्पताल, ICU में भर्ती होने और मौत होने का खतरा दोगुना है. इसलिए न्यू साउथ वेल्स मे जांच और संपर्क में आए लोगों का पता लगाने की रणनीति डेल्टा के खिलाफ काम नहीं आयी.

केंसिंग्टन: ऑस्ट्रेलिया (Australia) में कोरोना महामारी (Corona Pandemic) का कहर एक बार फिर लोगों को डरा रहा है. हालात बिगड़ने के चलते ग्रेटर सिडनी (Greater Western Sydney) में 26 जून को शुरू हुए लॉकडाउन के बावजूद संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ रही है. वहीं न्यू साउथ वेल्स में कोविड-19 (Covid-19) के रोजाना करीब 100 नए केस मिल रहे हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) को पूर्वी उपनगरों से बाहर भी तेजी से फैलते हुए देखा जा रहा है. इससे प्रशासन की चिंता बढ़ गई है. 

न्यू साउथ वेल्स से विक्टोरिया तक दहशत

कोरोना का संक्रमण न्यू साउथ वेल्स से विक्टोरिया तक फैला जिससे दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के बाद वहां भी लॉकडाउन लगाना पड़ा. डेल्टा अब तक पता चले सभी वैरिएंटों में सबसे अधिक संक्रामक है. कोरोना वायरस के मूल वुहान वैरिएंट की जगह मार्च 2020 तक अधिक संक्रामक डी614जी वैरिएंट ने ली जो विक्टोरिया में दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था.

सितंबर में ब्रिटेन (UK) में अल्फा वैरिएंट (Corona strain Alpha) सामने आया जो और ज्यादा संक्रामक था. अल्फा 2021 की शुरुआत तक दुनियाभर में फैलता दिखा लेकिन फिर डेल्टा वैरिएंट आ गया. ये बदला हुआ वैरिएंट अल्फा से कहीं अधिक संक्रामक है.

डेल्टा वैरिएंट ने बढ़ाई मुश्किल

डेल्टा ने महामारी से निपटने के काम को और मुश्किल बना दिया है. रोजाना पर्याप्त टीकों का इंतजाम करने समेत महामारी पर काबू पाने के लिए जांच का स्तर बढ़ाकर नए मामलों का पता लगाकर लोगों को आइसोलेट किया जा रहा है. 

फिर से उठाए गए ये एहतियाती कदम

संपर्क में आए सभी लोगों का पता लगाने और उन्हें निश्चित अवधि तक अलग-थलग करने यानी आइसोलेशन में भेजने पर फोकस है. सार्स-सीओवी-2 उन लोगों के जरिए ज्यादा फैल रहा है जिनमें बीमारी के लक्षण नहीं है. इसलिए कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर पूरा जोर लगया गया है. इसी तरह मास्क लगाना कंपलसरी किया गया है. वहीं लोगों के बीच संपर्क को कम करने के लिए सामाजिक दूरी का पालन करना आवश्यक है.

टीकाकरण बढ़ाने की जरूरत

इस डिटेल्ड स्टडी में पाया गया कि संक्रमित के संपर्क में आने से संक्रमित होने के बीच औसत समय 2020 में छह दिन का था लेकिन डेल्टा वैरिएंट के मामले में यह चार दिन है. इससे संपर्क में आए लोगों के संक्रमित होने से पहले उनका पता लगाना मुश्किल हो गया है.

तो हर बार संक्रमण फैलने पर लॉकडाउन के अलावा हम क्या कर सकते हैं? तो सबसे पहले हम सभी को कोरोना का टीका (Corona Vaccine) लगवाने की आवश्यकता है. इजराइल जैसे देशों ने अपनी 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को पूरी तरह टीका लगा दिया है और वहां डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण फैल तो रहा है लेकिन लोग अस्पताल में भर्ती होने तथा मरने से बच रहे हैं.

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