ईपीएफओ के ईपीएस स्कीम के तहत कर्मचारी की मृत्यु के बाद परिवार वालों को फैमिली पेंशन का लाभ मिल सकता है. इसमें पति या पत्नी से लेकर बच्चे तक शामिल हैं.
नौकरी के दौरान प्रत्येक कर्मचारी की सैलरी से कुछ हिस्सा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से संचालित पीएफ (PF) और पेंशन स्कीम (EPS) में जमा होता है. इससे आपका और परिवार के लोगों का भविष्य सुरक्षित रहता है. ईपीएस स्कीम के तहत अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तब भी पेंशन बंद नहीं होती. इस स्थिति में परिवार वालों को पेंशन का लाभ मिलता है.
पीएफ का पैसा जहां इमरजेंसी की जरूरतों को पूरा करने के काम आता है. वहीं ईपीएस के जरिए पेंशन मिलती है. EPF मेंबर की मृत्यु हो जाने पर पत्नी या पति और बच्चों को भी पेंशन का फायदा मिलता है, इसलिए इसे फैमिली पेंशन भी कहा जाता है.
पेंशन के लिए 10 साल की नौकरी है जरूरी
पेंशन का लाभ लेने के लिए कर्मचारी को 10 साल लगातार नौकरी करना जरूरी है. कर्मचारी तभी पेंशन का हकदार होता है. इस पेंशन स्कीम में कंपनी के 12 फीसदी योगदान का 8.33 फीसदी जमा होता है. इस पर सरकार भी अपना योगदान देती है, ये बेसिक सैलरी के 1.16 फीसदी से ज्याादा नहीं होता है. ईपीएफओ नियम के अनुसार रिटायरमेंट के अलावा अगर कर्मचारी किसी दुर्घटना में पूरी तरह से विकलांग हो जाता है तब भी पेंशन पा सकता है.
फैमिली पेंशन के नियम
1.ईपीएस स्कीम के तहत कर्मचारी के जीवित रहने तक उसे हर महीने तय पेंशन मिलती है. उसके न रहने पर पेंशन की हकदार उसकी पत्नी या पति होते हैं.
2 अगर कर्मचारी के बच्चे हैं तो उसके 2 बच्चों को भी 25 साल की उम्र तक पेंशन मिल सकती है.
3.कर्मचारी के अविवाहित रहने पर उसके नॉमिनी को पेंशन मिलती है.
4.अगर कोई नॉमिनी नहीं है तो कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसके माता-पिता पेंशन के हकदार होते हैं.