डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के पीछे की तरफ तीन अंक का एक नंबर लिखा आता है. इसको सीवीवी नंबर कहते हैं. काफी लोग इस पर ज्यादा गौर नहीं करते हैं, पर यह नंबर बहुत उपयोगी होता है.
आजकल लगभग सभी लोग डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. इसके आगे के हिस्से पर 16 अंकों के नंबर लिखे होते हैं. कार्ड पर नाम और एक्सपायरी डेट भी होती है. इसके अलावा कार्ड के पीछे की तरफ तीन अंक का नंबर भी लिखा आता है. काफी लोग इस पर ज्यादा गौर नहीं करते हैं, पर यह नंबर बहुत उपयोगी होता है. ऐसे में इसका ध्यान रखना जरूरी होता है. आरबीआई का तो यहां तक कहना है कि आपको कार्ड मिलने के बाद इसको मिटा कर नंबर याद रखना चाहिए.
इसलिए जरूरी है ये नंबर
दरअसल, कार्ड के पीछे लिखे ये तीन अंक कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू (सीवीवी) नंबर होते हैं. यह एक तरह का कोड है जो सिक्योरिटी के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. ज्यादातर ट्रांजेक्शन के समय इसकी जरूरत पड़ती है और इस नंबर के बिना ट्रांजेक्शन पूरा नहीं होता है. किसी वेबसाइट से कोई शख्स कई बार पेमेंट करता है तो अक्सर उस पर कार्ड की डिटेल भी सेव भी कर देता है लेकिन दोबार ट्रांजेक्शन करने भी सीवीवी जरूरत पड़ती है. यह नंबर सेव नहीं होता है और हर ट्रांजेक्शन में इसकी आवश्यकता होती है.
आरबीआई आपको कार्ड प्राप्त होने पर सीवीवी नंबर को मिटाकर याद करने की सलाह देता है. क्योंकि यदि किसी को ये कोड पता नहीं होगा तो वो उस कार्ड से ऑनलाइन पेमेंट नहीं कर पाएगा. ऐसे में फ्रॉड की संभावना बहुत कम हो जाती है .
धोखाधड़ी से ऐसे बचाता है सीवीवी
सीसीवी नंबर सिक्योरिटी की के लिहाज से उपयोग किया जाता है. यह नंबर वैसे ही एक सिक्योरिटी लेयर का काम करता है जैसी कि ओटीपी करता है. क्योंकि सीवीवी नंबर के बिना कोई ट्रांजेक्शन नहीं कर पाता है और यह नंबर ट्रांजेक्शन के समय कार्डहोल्डर के ही पेमेंट के लिए जिम्मेदार होने की पुष्टि करता है. इसलिए इस नंबर को गोपनीय रखना जरूरी होता है, जिससे फ्रॉड से बचा जा सके.