कोलकाता, राज्य ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने ऑर्डर जारी कर पश्चिम बंगाल के हीरा (वेस्ट बंगाल हाउसिंग इंडस्ट्री रेगुलेशन एक्ट 2017) को खारिज करते हुए रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट, 2016) लागू करने के निर्देश पश्चिम बंगाल सरकार को दिये थे। हालांकि 2 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक पश्चिम बंगाल में इसे लागू नहीं किया जा सका है। ऐसे में होम बायर्स एसोसिएशन, फोरम फॉर पीपुल्स कलेक्टिव एफर्टस् (एफपीसीई) की ओर से केंद्रीय आवासन मंत्रालय के सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा को चिट्ठी भेजकर पश्चिम बंगाल में भी रेरा लागू करवाने की मांग की गयी है।
गत 4 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऑर्डर में हीरा, 2017 को खारिज करते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया था। प्रेसिडेंट व मेम्बर, सेंट्रल एडवाइजरी काउंसिल, रेरा के अभय उपाध्याय ने बताया, ‘पश्चिम बंगाल सरकार को जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अमल करते हुए रेरा लागू करना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर के 2 महीने से अधिक बीत गये, लेकिन रेरा लागू नहीं किये जाने के कारण होम बायर्स को काफी समस्याएं हो रही हैं।
जिनका हीरा में केस चल रहा था, उन्हें अब समझ में नहीं आ रहा कि वे कहां जाएं। हीरा में कुछ दिक्कतें थीं और राज्य सरकार का अपना कानून इसी तरह चलता तो फिर आने वाले समय में दूसरे राज्य भी अपना – अपना कानून लागू कर देते। ऐसे में फिर रेरा एक्ट का कोई मतलब नहीं रह जाता। अब जल्द से जल्द राज्य में रेरा को लागू करने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिये।’ इसी तरह लियांस ग्रुप के एमडी, नेशनल रेरा कमेटी, एनएआर इंडिया के चेयरमैन व रेका कोलकाता के प्रेसिडेंट महेश सोमानी ने कहा, ‘हो सकता है कि कानूनी प्रावधानों को पूरा करने में कुछ समय लग रहा है। बीच में कोरोना के कारण सब कुछ बंद हो गया था। उम्मीद है कि अगले एक महीने के अंदर पश्चिम बंगाल में भी रेरा एक्ट चालू कर दिया जाएगा।’
हीरा के वेबसाइट पर ये है नोटिस
डब्ल्यूबीहीरा के आधिकारिक वेबसाइट पर गत 4 मई से नोटिस लगायी गयी है जहां लिखा है, ‘6 व 7 मई समेत दूसरी तारीखों पर होने वाली ऑनलाइन हियरिंग को फिलहाल अगले आदेश तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।’ ऐसे में एफपीसीई का कहना है कि इस तरह की अनिश्चितता के कारण होम बायर्स की मुश्किलें काफी बढ़ गयी हैं और अब जो नये केस फाइल करना चाहते हैं, उन्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
क्या समस्याएं हो रही हैं होम बायर्स को
हाईलैंड ग्रीन फेज 1 के अनिंद्य भुक्ता ने कहा, ‘हीरा के तहत मैंने मामला किया था, लेकिन इस बीच हीरा खारिज हो गया और रेरा लागू नहीं हुआ। इस कारण मामला भी लंबित पड़ा है और अब तक मालिकाना हक भी नहीं मिल पाया है। कंज्यूमर फोरम में अगर सिविल मामला किया जाए तो उसमें काफी लम्बा समय लग जाएगा। अब ये भी नहीं पता कि हीरा का ऑर्डर वैध भी रहेगा या नहीं। इन सब दिक्कतों के कारण काफी उलझन की स्थिति है।’ इसी तरह एक और होम बायर सप्तपर्णा राय ने कहा, ‘हीरा खारिज होने और रेरा लागू नहीं होने के कारण मेरा केस अब तक लंबित है। रिकवरी सर्टिफिकेट हीरा ने दे दिया था, लेकिन सर्टिफाइड कॉपी नहीं भेजने के कारण डीएम ऑफिस मामले को आगे नहीं बढ़ा रहा है।’
क्या है हीरा
पश्चिम बंगाल सरकार ने हीरा एक्ट को लागू किया था ताकि रियल इस्टेट सेक्टर में निवेश को कानूनी रूप दिया जा सके और बायर्स की रुचि भी बरकरार रखी जा सके। इसके तहत 8 अपार्टमेंट अथवा 500 मीटर से ऊपर के किसी भी हाउसिंग प्रोजेक्ट और अन्य रियल इस्टेट प्रोजेक्ट को रेगुलेटरी अथॉरिटी के तहत रजिस्टर कराना हाेगा। इसके अलावा रियल इस्टेट से जुड़े विभिन्न विवादों को इसी एक प्लेटफॉर्म के तहत निपटारे के लिए इस कानून को बनाया गया था।
क्या अंतर है हीरा व रेरा में
रियल इस्टेट से जुड़े कई एसोसिएशनों का मानना है कि हीरा व रेरा में कुछ अधिक अंतर नहीं है, लेकिन हीरा के तहत डेवलपर्स के हित को अधिक ध्यान में रखा गया था।