Jammu-Kashmir Latest News: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने अलग-अलग विभागों में तैनात 11 कर्मचारियों को राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के चलते नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। उन पर आतंकवादियों के सहयोगी के रूप में काम करने के आरोप हैं।
हाइलाइट्स
- आतंकी संगठनों के साथ कथित तौर पर काम करने को लेकर जम्मू कश्मीर के 11 सरकारी कर्मचारी किए गए हैं बर्खास्त
- बर्खास्त कर्मचारियों में से चार शिक्षक अपने-अपने संबंधित स्कूलों और संस्थानों में छात्रों को बना रहे थे कट्टरपंथी
- जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान में लेक्चरर पद से बर्खास्त मोहम्मद जब्बार पर्रे को जमात-ए-इस्लामी में छोटा गिलानी कहा जाता है
नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से हाल ही में कथित आतंकी संबंधों और ‘राष्ट्र-विरोधी’ गतिविधियों के लिए बर्खास्त किए गए शिक्षकों को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्रों की माने तो 11 सरकारी कर्मचारियों में से चार शिक्षक बर्खास्त होने से पहले अपने संबंधित स्कूलों और संस्थानों में छात्रों को न केवल कट्टरपंथी बना रहे थे, बल्कि अपने-अपने इलाकों में युवाओं को आतंकी कैंपों में भर्ती होने के लिए बरगला कर रहे थे। इसके बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इस पर कड़ा उठाया।
केंद्रीय खुफिया एजेंसी के सूत्र ने बताया कि नासिर अहमद तांत्रे को जीएमएस बटेंगु अनंतनाग में एक शिक्षक के रूप में नौकरी से बर्खास्त किया गया था। वह कथित तौर पर हिजबुल मुजाहिदीन और जमात ए इस्लामी से जुड़ा था। इसके अलावा मोहम्मद जब्बार पर्रे को जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIET) में लेक्चरर पद से बर्खास्त किया गया था। पर्रे को जमात-ए-इस्लामी में छोटा गिलानी कहा जाता है। सूत्र ने बताया कि दोनों गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित आतंकी संगठनों जमात-ए-इस्लामी और जैश ए मोहम्मद के साथ मिलकर काम कर रहे थे।
जम्मू-कश्मीर में कर रहे थे अलगाव का प्रचार
दिलचस्प बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के शिक्षा विभाग से बर्खास्त किए गए चार कर्मचारियों में से दो महिलाएं हैं, जो कथित तौर पर यूएपीए के तहत प्रतिबंधित दुख्तारन ए मिल्लत की विचारधारा का प्रचार कर रही थीं और जम्मू-कश्मीर की अलगाव के लिए महिलाओं और बच्चों के बीच समर्थन जुटा रही थीं। नासिर अहमद तांत्रे एक कथित आतंकी हमदर्द था, जिन्हें उसी स्कूल में कार्यरत अपने बड़े भाई अब्दुल गनी तांत्रे की मदद से एक अस्थायी शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था।
1990 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था तांत्रे
खुफिया सूत्रों का दावा है कि अब्दुल तांत्रे 1990 में हिजबुल मुजाहिदीन में इसके जिला प्रमुख या नजीर-ए-जिला के रूप में शामिल हुआ था और अनंतनाग के प्रमुख केंद्रों में उसका प्रभाव था। जब अब्दुल वापस जुड़ गया तो दोनों भाइयों ने तय किया कि नासिर की अस्थायी नियुक्ति को बढ़ा दिया गया और बाद में उसी स्कूल में नियमित कर दिया गया। एक सूत्र ने बताया कि नासिर नियमित होने के तुरंत बाद आतंकी रैंक में शामिल हो गया और उसने अपने क्षेत्र के छात्रों और अन्य युवाओं को आतंकी गतिविधियां सिखाना शुरू कर दिया।
नासिर के हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के साथ घनिष्ठ संबंध
सेंट्रल लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी के एक अधिकारी ने दावा किया कि नासिर के हिजबुल मुजाहिदीन के मोस्ट वांटेड प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। पाकिस्तान में पढ़ रहे निसार के बेटे का खर्च सलाहुद्दीन ने उठाया था। अधिकारी ने आरोप लगाया कि मोहम्मद जब्बार पर्रे पिछले कुछ सालों से जम्मू-कश्मीर सरकार की जांच के दायरे में था, लेकिन पहले की सरकारों ने दूसरा रास्ता चुना। उन्होंने दावा किया कि पर्रे ने कई स्कूलों में जेईआई की छात्र शाखा जमात-ए-तुलबा के कार्यक्रम आयोजित किए थे। अधिकारी ने कहा कि उन्हें पथराव करने और युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए सुरक्षा बलों ने झंडी दिखाकर रवाना किया था, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
एक दर्जन युवकों का ब्रेनवॉश कर बनाया आतंकी
पता चला है कि पर्रे ने बिजबेहरा में कई आतंकियों का अंतिम संस्कार किया और एक दर्जन युवकों का ब्रेनवॉश किया। इसके बाद वे आतंकी बन गए। पर्रे अपने जिहाद समर्थक भाषणों से युवाओं को भड़काने के लिए स्थानीय मस्जिदों का भी इस्तेमाल कर रहा था। सूत्रों ने खुलासा किया कि पर्रे जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर काम कर रहा था और अनंतनाग जिले में आतंकी योजनाओं को अंजाम देने में मदद करके आतंकी सरगना के रूप में काम करता था।
आतंक फैलाने के आरोप में बर्खास्त रजिया सुल्तान
सरकारी स्कूल खिराम अनंतनाग की प्रधानाध्यापिका रजिया सुल्तान को कथित तौर पर आतंक फैलाने के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया है। उनके पिता सुल्तान भट एक कट्टर जेईआई समर्थक थे। उन्हें 1996 में डबल क्रॉसिंग के लिए आतंकवादियों ने मार दिया था। उन्हें वर्ष 2000 में अनुकंपा के आधार पर एक शिक्षिका के रूप में नियुक्त किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने इशारा किया था कि वह दुख्तारन-ए-मिल्लत (डीईएम) और जेईआई विचारधारा का प्रचार कर रही थीं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।