मोतीलाल ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने ऐसे मिडकैप शेयरों को पहचान कर उनमें निवेश का फॉर्मूला दिया है, जो आगे चल कर मेगा कैप शेयर बन सकते हैं और निवेशकों को सुपर रिटर्न दे सकते हैं.
Investment Tips :शेयर मार्केट में ट्रेड करने वाले ऐसे कई मिड कैप शेयर होते हैं, जिनमें कम वक्त में ही मेगा कैप बनने की क्षमता होती है. ऐसे शेयर पांच साल में ही मेगा कैप शेयरों का सफर तय कर सकते हैं. इस तरह के शेयर 40 फीसदी तक का एनुअल रिटर्न तक दे रहे हैं. मोतीलाल ओसवाल ग्रुप के चेयरमैन रामदेव अग्रवाल ने ऐसे मिडकैप शेयरों को पहचान कर उनमें निवेश का फॉर्मूला दिया है, जो आगे चल कर मेगा कैप शेयर बन सकते हैं और निवेशकों को सुपर रिटर्न दे सकते हैं. मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से टॉप 100 शेयर मेगा कैप शेयर कहलाते हैं. इसके बाद के 200 शेयर मिड कैप शेयर कहलाते हैं और बाकी मिनी या स्मॉल कैप शेयर कहे जाते हैं.
मेगा कैप में शामिल होने के लिए 25 से 40 फीसदी की ग्रोथ जरूरी
रामदेव अग्रवाल कहते हैं कि टॉप 300 स्टॉक में शामिल शेयरों का टॉप 100 शेयरों तक पहुंचने का जो सफर है, उसमें निवेशकों का जबरदस्त मुनाफा मिल सकता है. हर 5 साल में 13 से 15 कंपनियां मिड से मेगा कैप में बदल जाती हैं. मिड कैप कंपनियों को भी अगर अपनी रैंकिंग बरकरार रखनी है तो उसे हर साल 15 फीसदी के हिसाब से ग्रोथ हासिल करनी होगी. यह बेहद मुश्किल है. अगर कोई मिड कैप कंपनी मेगा कैप कंपनियों के कैटेगरी में शामिल होती है तो उसे 25 से 40 फीसदी से ज्यादा रेट से ग्रोथ करना होगा.
ये है मेगा कैप बनने वाली कंपनियों को पहचानने का तरीका
रामदेव अग्रवाल ने मोतीवाल ओसवाल ग्रुप की 2930 कंपनियों ( 2016 से लेकर 2021 मार्च) की एक स्टडी कराई थी. इसमें 100 मेगा शेयर,200 मिड कैप और 2630 मिनी शेयर शामिल किए गए थे. 2630 मिनी कंपनियों में से सिर्फ 32 कंपनियां मेगा कैप बन पाईं और 45 फीसदी का रिटर्न दिया. लेकिन उनका स्ट्राइक रेट महज 2 फीसदी था. इसमें काफी जोखिम था. इसी दौरान 200 मि़ड कै कंपनियों में से 13 मेगा कैप कंपनियां बन गई. इन कंपनियों ने 38 फीसदी का रिटर्न दिया और उनका स्ट्राइक रेट 6.5 फीसदी था. इसमें जोखिम कम था. रामदेव अग्रवाल ने स्मॉल कैप कंपनियों की जगह मिड-साइज कंपनियों पर फोकस करने को कहा है जो 6 से 7 फीसदी के स्ट्राइक रेट के साथ अच्छा मुनाफा दे सकती हैं.