चंडीगढ़, जेएनएन / एएनआइ। Punjab Congress High Voltage Drama : नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने को लेकर फैसला जल्द ही हो सकता है। सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत के साथ पार्टी की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक की। बताया जाता है कि इस बैठक में पंजाब कांग्रेस को लेकर फैसला हो गया है। दूसरी ओर, पंजाब में सिद्धू और उनके विरोधी खेमे के बीच पोस्टर वार शुरू हो गया है। पंजाब में अमृतसर और लुधियाना सहित कई जगहों पपर सिद्धू के समर्थकों ने पोस्टर-बैनर लगाए। लुधियाना में इस तरह के पोस्टर को फाड़ दिया गया।
इससे पहले पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश पार्टी की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने उनके आवास 10, जनपथ पहुंचे। सोनिया के साथ सिद्धू और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत की बैठक हुई। इसके बाद दोनों नेता वहां से रवाना हो गए। बताया जाता है कि इसमें सिद्धू को पंजाब कांग्रस अध्यक्ष बनाने को लेकर चर्चा हुई।
पंजाब में सिद्धू के लिए बधाई के पोस्टर भी लगे, लुधियाना में दूसरे गुट ने फाडे़
दूसरी ओर, पंजाब में सिद्धू के समर्थकों ने उनको प्रदेश प्रधान बनाने के लिए कांग्रेस नेतृत्व को धन्यवाद के बैनर व पोस्टर लगा रहे हैं। अमृतसर और लुधियाना में सिद्धू के समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं। हालांकि लुधियाना में दूसरे गुट द्वारा इन्हें फाड़ने की घटना भी सामने आई है।
अमृतसर में लगाया गया नवजोत सिंह सिद्धू के लिए बधाई का बैनर। (जागरण)
हरीश रावत बोल- फैसले के बारे में जल्द देंगे जानकारी
साेनिया गांधी के साथ बैठक के बाद हरीश रावत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैंने पूरे मामले पर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट और राय दे दी है। मैं जल्द ही पंजाब कांग्रेस के मामले में पार्टी के फैसले की जानकारी मीडिया को दे दूंगा।
बता दें कि सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष घोषित करने की चर्चाओं के बाद पार्टी में कल से हाई वाेल्टेज ड्रामा चल रहा है। इसके बाद नवजोत सिंह सिद्धू को सोनिया गांधी ने आज दिल्ली बुलाया। कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ सिद्धू और रावत की बैठक हुई। बताया जाता है कि इस बैठक में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर सोनिया गांधी ने अपना फैसला सुना दिया। समझा जाता है कि बैठक में पंजाब कांग्रेस में कल से जारी घटनाक्रम बारे में भी बात हुई।
सोनिया की सिद्धू और रावत के साथ बैठक
बताया जाता है कि सोनिया गांधी और नवजोत सिंह सिद्धू की बैठक को लेकर पंजाब कांग्रेस का एक धड़ा मान रहा है कि अब प्रदेश प्रधान की घोषणा हो जाएगी। दूसरा धड़ा कह रहा है कि बड़े स्तर पर विरोध के कारण कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए सोनिया ने सिद्धू को बुलाया। सिद्धू इस बैठक के लिए सुबह-सुबह ही पटियाला से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
कैप्टन-सिद्धू के विवाद में मनीष तिवारी भी कूदे, सिख और हिंदुओं के आंकड़े पेश किए
दूसरी ओर अब पूरे मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी सांसद व वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष तिवारी भी कूद पड़े हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान को लेकर चल रही उठापटक के बीच मनीष तिवारी में पंजाब के जातीय आंकड़े पेश किए। उन्होंने इसको लेकर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है- बराबरी सामाजिक न्याय की बुनियाद है। पंजाब में सिख 57.75 फीसदी, हिंदू 38.49 फीसदी, दलित (सिख और हिंदू) 31.94 फीसदी। माना जा रहा है कि तिवारी ने यह ट्विट मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रदेश प्रधान की कमान किसी हिंदू नेता को देने के समर्थन में किया है।
बताया जाता है पंजाब कांग्रेस में कल शाम से जारी घटनाक्रम और सिद्धू व कैप्टन अमरिंदर सिंह के खेमों की बैठकों की खबरों के बाद कांग्रेस आलाकमान ने पूरे मामले काे गंभीरता से लिया है। यही कारण है कि आज सुबह सिद्धू को सोनिया गांधी ने दिल्ली बुलाया।
बता दें कि पंजाब कांग्रेस में हाई वोल्टेज ड्रामा की वजह से ही ऐन वक्त पर सिद्धू की कल ताजपोशी के ऐलान को रोक दिया गया। पूरे मामले में पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी एक तरह से निशाने पर आ गए और उनको सोनिया गांधी के दरबार में सफाई देनी पड़ी। अब आज रावत ही इस मामले में कैप्टन अमरिंदर के साथ सहमति बनाएंगे और इसके बाद आज कभी भी सिद्धू को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की घोषणा हो सकती है।
दरअसल पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू की अंदरूनी जंग खत्म करने के लिए तय सियासी फार्मूले से पर्दा हटते ही कांग्रेस में कल हलचल मच गई। वीरवार को कांग्रेस के पंजाब के प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की बात कही तो कैप्टन सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह संदेश दिया कि यह सही फैसला नहीं है। इसके बाद दोनों खेमों में जोर आजमाइश व दबाव की सियासत तेज हो गई है। रात तक तो पंजाब कांग्रेस में खेमेबाजी चरम पर पहुंच गई। सिद्धू और कैप्टन ने अपने करीबी मंत्रियों और विधायकों के साथ बैठके कीं।
कांग्रेस में वीरवार को पूरा दिन दिल्ली से लेकर चंडीगढ़ तक गहमागहमी रही। सुबह हरीश रावत ने नई दिल्ली में बातचीत के दौरान सूबे की सियासत में कैप्टन-सिद्धू का संघर्ष लगभग खत्म हो जाने का एलान किया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और कांग्रेस हाईकमान के बीच हुई चर्चा के बाद समाधान का रास्ता निकल गया है। सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के प्रस्ताव से जुड़े सवाल पर रावत ने कहा कि सुलह का फार्मूला इस विकल्प के आस-पास ही रखा गया है। रावत ने इशारों में साफ कर दिया कि सिद्धू प्रदेश कांग्रेस की बागडोर संभालेंगे।
उन्होंने यह भी साफ कहा कि कैप्टन पिछले साढ़े चार साल से हमारे मुख्यमंत्री हैं और बेशक कांग्रेस उनकी अगुआई में ही 2022 के चुनाव मैदान में उतरेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि कैप्टन और सिद्धू मिलकर चुनाव में पार्टी की जीत की आधारशिला रखेंगे।
कमलनाथ, अश्वनी कुमार व प्रताप बाजवा ने भी जताया एतराज
रावत के इस बयान के बाद पंजाब कांग्रेस में हलचल तेज हो गई और कैप्टन अमरिंदर व प्रताप सिंह बाजवा जैसे वरिष्ठ नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। सूत्रों के मुताबिक अमरिंदर सिंह ने सोनिया गांधी गांधी को फोन कर आपत्ति जताई। बताया जाता है कि राज्यसभा सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के अलावा वरिष्ठ नेता कमल नाथ और पूर्व कैबिनेट मंत्री अश्वनी कुमार ने भी एतराज जताया।
कैप्टन और सिद्धू ने कीं अलग-अलग बैठकेंं
पार्टी की ओर से अध्यक्ष बनाए जाने का एलान न होने पर सिद्धू ने एक बार फिर दबाव की राजनीति करते हुए शाम को चार मंत्रियों व छह विधायकों से मुलाकात की।
इसके साथ ही कैप्टन खेमा भी सक्रिय हो गया है। रात में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी अपने फार्म हाउस में सांसद जसबीर सिंह डिंपा, सांसद गुरजीत औजला और विधायकों में रमिंदर आंवला, फतेहजंग बाजवा आदि के साथ बैठक की। इससे पहले कैबिनेट मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और अरुणा चौधरी भी कैप्टन से मिले।
कैप्टन की पसंद से बनेंगे दो कार्यकारी अध्यक्ष, मंत्रिमंडल में होगा बदलाव
पार्टी सूत्रों ने कहा कि पंजाब में जातीय और सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखते हुए दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाया जाना लगभग तय है। सियासी समीकरण को संतुलित रखने के लिए हाईकमान कार्यकारी अध्यक्ष के लिए कैप्टन की पसंद को भी तवज्जो देगा। पार्टी रणनीतिकारों के अनुसार संगठन में बदलाव की घोषणा होने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह अपने मंत्रिमंडल का पुनर्गठन कर कुछ नए चेहरों को शामिल करेंगे तो कुछ विवादित चेहरों की छुट्टी भी होगी।