Uttarakhand Monsoon : उत्तराखंड के सीमांत इलाकों के लिए भारी बारिश मुसीबत बन रही है. हालांकि बीआरओ वैकल्पिक इंतज़ामों में जुट गया है, लेकिन अंदेशा है कि अगले कुछ दिनों तक कई लोग और वाहन फंसे रह सकते हैं.
पिथौरागढ़/देहरादून. भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में एक बार फिर रास्ते बंद हो जाने की बड़ी खबर आई है. इस बार 48 मीटर लंबा कॉंक्रीट का एक ब्रिज ढह जाने के चलते दरमा, व्यास और चौदस घाटियों का संपर्क सीमांत ज़िलों से कट गया है. वहीं, भारी बारिश के कारण चीन और नेपाल के साथ जुड़ने वाली भारत की सीमा से सटे 50 से ज़्यादा गांवों का संपर्क सड़क मार्ग से कट गया है. यानी ये गांव धारचूला तहसील मुख्यालय से कट चुके हैं. दूसरी तरफ, पिथौरागढ़ समेत उत्तराखंड के कई ज़िलों में 12 जुलाई तक भारी बारिश के आसार जताते हुए यलो अलर्ट जारी कर दिया गया है.
ब्रिज ढहने के बारे में धारचूला के एसडीएम एके शुक्ला ने बताया कि यह ब्रिज टनकपुर-तवाघाट नेशनल हाईवे पर कुलागर सहायक नदी पर बना था. यह इलाका भारत-चीन सीमा के नज़दीक है. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्ला ने यह भी बताया कि विकल्प के तौर पर बॉर्डर सड़क संगठन ने एक ट्रेक रूट तैयार करवाया है. शुक्ला के मुताबिक टूटी हुई सड़क की दूसरी तरफ पहुंचने के लिए करीब 100 मीटर की दूरी तक माल परिवहन हो चुका है.
भारी से बहुत भारी बारिश के अलर्ट के चलते लोगों को सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है.
समस्या और इंतज़ाम क्या हैं?
वहीं, बीआरओ ने कहा कि बॉर्डर से सटी घाटियों में वाहनों की आवाजाही हो सके, इसके लिए पांच दिनों के भीतर वैकल्पिक बैली ब्रिज बनवाया जाएगा. बता दें कि 2013 में जब एक सड़क बारिश से टूट गई थी, तब आपदा प्रबंधन विकास विभाग और बीआरओ ने सड़क को जोड़ने के लिए ब्रिज बनवाया था. स्थानीय लोगों के मुताबिक अब स्थिति यह है कि कई वाहन और लोग रास्ते में फंस चुके हैं. कुछ ग्रामीणों के हवाले से खबरें कह रही हैं कि इस दुर्घटना का कारण नागने बुगयाल में बादल फटने से कुलागड़ नदी में मलबा बहकर आना हो सकता है.
सावधान, 12 जुलाई तक होगी भारी बारिश
मौसम विज्ञान के जानकारों ने चेतावनी दी है कि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के साथ ही पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, नैनीताल आदि ज़िलों में आगामी शनिवार से सोमवार तक भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है. इस लिहाज़ से मौसम विभाग ने यलो अलर्ट जारी करते हुए भूस्खलन जैसे खतरों को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी है. नदियों, नालों के किनारों के लोगों को सुरक्षित जगहों पर जाने को भी कहा गया है.