बांध के जलाशयों के स्तर कम होने के कारण इस सीजन में बिजली की उपलब्धता भी कम है, जिसके परिणामस्वरूप पनबिजली उत्पादन में 600 मेगावाट की गिरावट आई है. तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) की एक इकाई पहले ही टर्बाइन खराब होने के कारण बंद हो चुकी है.
चंडीगढ़. बिजली संकट के चलते पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) (Punjab State Power Corporation Limited) ने खुले बाजार से 400 मेगावाट बिजली 12.40 रुपये प्रति यूनिट की दर से खरीद रही है जोकि हाल के दिनों में सबसे अधिक महंगी दरों में से एक है. पंजाब ने उद्योग और कृषि क्षेत्र (Industry and agriculture) के फीडरों सहित उपभोक्ताओं को आपूर्ति में भारी कमी को पूरा करने के लिए पहले ही 550 करोड़ रुपये की बिजली खरीद चुकी है.
पीएसपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि पावरकॉम हर दिन बाहर से करीब 12-25 करोड़ रुपये की बिजली खरीद रही है. एक अधिकारी का कहना है कि इसका मतलब है कि इस सीजन में पहले ही लगभग 550 करोड़ रुपये की बिजली खरीदी जा चुकी है, लेकिन मांग अभी भी आपूर्ति से अधिक है और औद्योगिक क्षेत्र 11 जुलाई तक जबरन बिजली बंद का सामना कर रहा है. पीएसपीसीएल के सीएमडी ए वेणु प्रसाद ने कहा कि मानसून के देरी से आने के बीच राज्य में चालू धान के मौसम के दौरान बिजली की हर समय उच्च मांग देखी जा रही है.
बांध के जलाशयों के स्तर कम होने के कारण इस सीजन में बिजली की उपलब्धता भी कम है, जिसके परिणामस्वरूप पनबिजली उत्पादन में 600 मेगावाट की गिरावट आई है. तलवंडी साबो पावर लिमिटेड (टीएसपीएल) की एक इकाई पहले ही टर्बाइन खराब होने के कारण बंद हो चुकी है, जबकि एक अन्य इकाई में खराबी आ गई है. एक अन्य तकनीकी समस्या के कारण आधी क्षमता से काम कर रहा है. इसके परिणामस्वरूप 2,200 मेगावाट की कमी हुई है उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था के अलावा पीएसपीसीएल ने 8 जुलाई को खुले बाजार से 12.40 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 400 मेगावाट अतिरिक्त बिजली खरीदी. प्रसाद ने कहा गुरुवार को कुल 1,400 मेगावाट बिजली 5.46 प्रति यूनिट की विनिमय दर पर खरीदी गई थी.
सभी स्रोतों से पीएसपीसीएल की स्थापित क्षमता 13,845 मेगावाट है, जिसमें से वर्तमान में 9,000 मेगावाट का उत्पादन किया जा रहा है. कम उत्पादन का एक प्रमुख कारण टीएसपीएल इकाइयों की विफलता थी. PSPCL ने SAD-BJP शासन के दौरान स्थापित तीन निजी थर्मल प्लांटों को फिक्स चार्ज के रूप में 20,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया है. इनमें से 5,700 करोड़ रुपये बिना बिजली के चुकाए जा चुके हैं. पीएसपीसीएल के एक अधिकारी का कहना है कि पीपीए में जुर्माने का कोई प्रावधान नहीं है, अगर वे लंबे समय तक बिजली की आपूर्ति नहीं करते हैं, तो अब मानसून के आने पर निर्भर रहना पड़ेगा. एक पूर्व इंजीनियर ने बताया कि PSPCL भाखड़ा का जल स्तर कम होने की बात कर रहा है और बिजली उत्पादन 600 मेगावाट तक घटने की बात कर रहा है, लेकिन वहां जलस्तर ज्यादा नहीं घटा है और उत्पादन सिर्फ 100 से 125 मेगावाट कम हुआ है.