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Mutual Funds Investment : अच्छे रिटर्न हासिल करने के हैं ये बड़े फॉर्मूले, नहीं डूबेगा पैसा

पैसों के बेहतर निवेश के लिए म्युचुअल फंड्स एक बेहतर विकल्प हैं, लेकिन अधिकांश लोग इसकी खासियत, प्रकार और निवेश की जानकारी नहीं होने से लाभ नहीं उठा पाते या नुकसान उठा बैठते हैं.

Investment : म्युचुअल फंड को लेकर कॉमन जानकारी है कि मॉडरेट रिस्क के साथ 5-10 सालों तक किया गया इनवेस्टमेंट आपको 15 प्रतिशत तक रिटर्न देने में सक्षम है. हालांकि निवेश करने से पहले फंड के बारे में पूरी जानकारी लेना बेहद जरूरी है. दरअसल म्युचुअल फंड इक्विटी में इंवेस्ट करते हैं, इसलिए इनकी वोलेटीलिटी अधिक होती है, यानी इसका उतार चढ़ाव, यह वजह है कि फाइनेंस एक्सपर्ट इसमें लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट की सलाह देते हैं. म्युच्युअल फंड्स में 5 या 10 साल तक किया गया निवेश मुद्रास्फीति या महंगाई की दर के अनुपात में बहुत अच्छे रिटर्न देने वाले होते हैं. 
फीचर्स और टाइप 
इसमें एक फंड मैनेजर होता है, जो आपके पैसे को अलग-अलग स्टॉक में लगाकर मुनाफा कमाता है और रिटर्न देकर एवज में अपने लिए कुछ अमाउंट कमीशन के तौर पर रख लेता है. फंड हाउस मैनेज करने के लिए ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी होती हैं, जैसे एचडीएफसी म्युचुअल फंड एसबीआई म्यूचुअल फंड, आदित्य बिरला म्युचुअल फंड आदि.
 
म्यूचुअल फंडस तीन तरह के होते हैं, इक्विटी, डेब्ट और हाईब्रीड. आप रिस्क लेने में सक्षम हैं तो इक्विटी में पैसा लगा सकते हैं, कम रिस्क लेकर ठीक मुनाफा चाहते हैं तो डेब्ट में निवेश कर सकते हैं, मॉडरेट रिस्क-रिटर्न लेना चाहते हैं तो हाइब्रिड में निवेश बेहतर होगा. म्यूचल फंड कई सेक्टर में भी बंटे होते हैं, जिसमें टेक्नोलॉजी, बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, एग्रीकल्चर और  एफएमसीजी हैं. अगर आप अनुमान लगा सकते हैं कि भविष्य में कौन सा सेक्टर मुनाफे का हो सकता है तो आप वहां निवेश कर सकते हैं. कुछ टैक्स सेविंग फंड होते हैं, जहां निवेश कर आप टैक्स डिडक्शन अंडर सेक्शन 80c के तहत छूट पा सकते हैं. मगर यहां आप पैसा नहीं निकाल पाएंगे, क्योंकि 3 साल का लॉक इन पीरियड लग जाता है. 
इन्वेस्टमेंट कैसे करें 

पहला तरीका है एसआईपी दूसरा लमसम. सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान आप सीधे ले सकते हैं, इससे आपको रेगुलर सेविंग इन्वेस्टमेंट की आदत बन जाएगी. मगर लमसम इंवेस्ट की सलाह तब दी जाती है, जब मार्केट क्रैश कर चुकी हो और भविष्य में इसके बढ़ने की संभावना बन रही हो.

पहले इन्हें चेक करें

पहले फंड का 5 से 10 साल का रिटर्न प्रोसेस चेक करना जरूरी है. कमीशन रेशो भी चेक करना होगा, यह 1-2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. एंट्री-एग्जिट लोड भी चेक करना होगा. यानी जब आप निवेश कर रहे हो तब आपका कितना पैसा कट सकता है और मेच्योरिटी के बाद पैसा पाएंगे तो कितना पैसा कटेगा.

ऐसे लगाएं पैसा
एक बार ऑनलाइन या कंसलटेंट के जरिए टारगेट गोल सेट कर केवाईसी कराएं. पैन, आधार और कैंसिल चेक म्युचुअल फंड कंपनी को देकर निवेश के लिए वेबसाइट पर जाकर रजिस्टर करना होगा. घर कर्मचारी आपसे घर आकर जरूरी डॉक्यूमेंट ले लेंगे. दूसरा तरीका है ऑनलाइन, जिसके लिए कई ऐप्स आ चुकी हैं, जिनके जरिए भी निवेश किया जा सकता है. 


अंत में कितना फायदा
पहला फायदा, हाई रिटर्न का है, मॉडरेट रिस्क पर भी अच्छी लिक्विडिटी मिलती है. आप कभी भी पैसा डाल सकते हैं और कभी भी पैसा निकाल सकते हैं. नुकसान है, हाई वोलैटिलिटी का. मार्केट के उतार-चढ़ाव के चलते यह -50% भी जा सकता है और इतना ही ऊपर जा सकता है. अगर मान भी लें कि हर साल 15 परसेंट रिटर्न नहीं मिलेगा, लेकिन 5-10 के लंबे पीरियड के बाद एवरेज रिटर्न 13-15% तक मिल जाएगा.

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