भारतीय रिजर्व बैंक ने तमाम बैंकों से सभी कंपनियों के उन करंट अकाउंट को छोड़ने और दूसरे बैंक में ट्रांसफर करने का आदेश दिया है, जिनका एक्सपोजर रिजर्व बैंक की तरफ से निर्धारित कट-ऑफ से कम है। रिजर्व बैंक ने इसे लेकर करीब 15 दिन पहले ही एक लेटर भी बैंकों को भेजा था। करीब साल भर पहले रिजर्व बैंक ने इस दिशा में काम करना शुरू किया था। इसकी वजह से बहुत सारे लुभावने ऑफर वाले करंट अकाउंट मल्टी नेशनल बैंकों से माइग्रेट होकर पब्लिक सेक्टर बैंकों और भारत के कुछ बड़े प्राइवेट सेक्टर बैंकों के पास आ सकते हैं।
क्या है नया नियम?
नए नियम के मुताबिक वह बैंक किसी कंपनी का करंट अकाउंट नहीं रख सकता है, जिसके पास कंपनियों को दी जाने वाली तमाम सुविधाओं का 10 फीसदी भी नहीं है। इन सुविधाओं में लोन, नॉन-फंड बिजनस जैसे गारंटी और डेलाइट ओवरड्राफ्ट या इंट्रा डे भी शामिल हैं। कुछ बैंक को अपने करंट अकाउंट अपने ही पास बनाए रखने के लिए अपनी सुविधाओ को 10 फीसदी के कटऑफ से बढ़ाने की कोशिश में भी लगे हैं।
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बैंक कर रहे हैं अकाउंट शिफ्टिंग की तैयारी
रिजर्व बैंक ये देखकर बहुत ही उदास है कि बैंकों की तरफ से अकाउंट की शिफ्टिंग में काफी समय लग रहा है। हालांकि, इस देरी की एक वजह ये भी हो सकती है कि कई पीएसयू बैंक तकनीक के साथ तैयार ना हों। रिजर्व बैंक सीधे कंपनियों को ये आदेश नहीं दे सकता है जो बैंकों के साथ सालों से बिजनस कर रहे हैं। एक समय ऐसा था जब बहुत से बैंकों और कंपनियों ने इसका विरोध किया था, लेकिन बाद में उन्हें भी समझ आ गया है कि ऐसा करना जरूरी है।