राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, विधिमंत्री मलय घटक और राज्य सरकार के हलफनामा देने के लिए किए गए नए आवेदन को स्वीकार कर लिया है। प्रत्येक को हलफनामे के बाबत अदालत को 5-5 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को कलकत्ता हाईकोर्ट में फिर से हलफनामा दायर करने के लिए निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ममता बनर्जी, विधिमंत्री मलय घटक और राज्य सरकार के हलफनामा देने के लिए नया आवेदन सोमवार को दायर किया था। इस मामले की कल सुनवाई हुई थी, लेकिन पांच सदस्यीय बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। आज पीठ ने हलफनामा दायर करने के आवेदन को स्वीकार कर लिया। सात दिनों के अंदर स्टेट लीगल ऑथिरिटी को 5-5 हजार रुपये जमा करने का निर्देश दिया।
15 जुलाई को होगी अगली सुनवाई
अदालत के निर्देश में कहा गया है कि पूरे मामले पर सीबीआइ 10 दिनों के अंदर जवाब देगी, जबकि इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी। दरअसल हाईकोर्ट ने नौ जून के अपने आदेश में प्रदेश सरकार का हलफनामा लेने से इनकार कर दिया था। इस पर ममता बनर्जी और मलय ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जून को हाईकोर्ट से कहा था कि वह सीबीआइ की याचिका पर फैसला लेने से पहले उनकी अर्जियों पर पुनर्विचार करे।
ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका
बता दें नारदा स्टिंग टेप मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट से झटका लगने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने सीबीआइ द्वारा 17 मई को तृणमूल कांग्रेस के चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन अपनी और प्रदेश के कानून मंत्री मलय घटक की भूमिका को लेकर कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा हलफनामा दायर करने की इजाजत नहीं दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
हालांकि इस मामले से न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने खुद को अलग कर लिया था। बता दें कि नारदा स्टिंग टेप मामले की सुनवाई विशेष सीबीआइ अदालत से उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने संबंधी केंद्रीय जांच एजेंसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने नौ जून को कहा था कि वह मामले में चार नेताओं की गिरफ्तारी के दिन बनर्जी और घटक की भूमिका को लेकर उनके द्वारा दायर हलफनामे पर विचार करने के बारे में बाद में फैसला करेगी।