सार
कोरोना से हुई शीर्ष नक्सल कमांडर हरिभूषण की मौत
रमण, गंगा और शोभरोई नक्सलियों की भी मौत कोरोना संक्रमण से हुई
विस्तार
छत्तीसगढ़ का शीर्ष नक्सल कमांडर यापा नारायण उर्फ हरिभूषण की मौत सोमवार रात दक्षिण बीजापुर-सुकमा अंतर्जिला सीमा क्षेत्र में कोरोना से हो गई। 52 वर्षीय हरिभूषण नाम से मशहूर यापा नारायण तेलंगाना राज्य समिति का सचिव भी था। पुलिस का दावा है कि रमण, गंगा और शोभरोई नक्सलियों की भी मौत कोरोना संक्रमण से ही हुई है।
बस्तर के महानिरीक्षक (आईजी) पी सुंदरराज के अनुसार, पिछले कुछ दिनों से लगातार यह सूचना मिल रही थी कि तेलंगाना राज्य नक्सल समिति के सचिव हरिभूषण समेत कई वरिष्ठ नक्सली कमांडर कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से पीड़ित हैं।
कुछ विश्वसनीय सूत्रों ने पुष्टि की है कि 21 जून को दक्षिण बीजापुर-सुकमा अंतर्जिला सीमा क्षेत्र के साथ मिनागुरम-भट्टीगुडम-जबगट्टा जंगलों के पास कोरोना संक्रमण से हरिभूषण की मृत्यु हो गई।
उसूर-पूजारीकांकर-पामेड़ क्षेत्र में लक्मू दादा नाम से मशहूर हरिभूषण पर छत्तीसगढ़ में 22 से अधिक मामले दर्ज हैं। तेलंगाना के महबूबनगर के मेदागुडम गांव का रहने वाला यापा नारायण अलग-अलग अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से प्रसिद्ध था।
हरिभूषण के अलावा उसे जगन, दुर्योधन, लक्मू दादा के नाम से भी जाना जाता था। पुलिस सूत्रों ने बताया कि उस पर 40 लाख रुपये से अधिक का इनाम है।
नक्सलियों में कोविड चिंताजनक, कोरोना वैक्सीन से वंचित : आईजी
सूत्रों का यह भी दावा है कि हरिभूषण समेत कई नक्सली कमांडरों और नक्सलियों ने कोरोना वायरस का टीका भी नहीं लिया था। छत्तीसगढ़ के दूरदराज इलाकों में तैनात नक्सली कोरोना वैक्सीन की पहुंच से वंचित हैं।
दिसंबर 2019 में, एक अन्य केंद्रीय समिति सदस्य और दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति सचिव रमण का दक्षिण बस्तर क्षेत्र में बीमारी के कारण निधन हो गया। और यह भी अहम है कि डीकेजेडएससी के दो वरिष्ठ सदस्य गंगा और शोभरोई की भी पिछले कुछ हफ्तों केदौरान ही कोविड संक्रमण से मृत्यु हो गई।
बस्तर आईजी ने कहा कि नक्सली नेताओं के दावों के विपरीत नक्सल शिविरों में कोविड की स्थिति बेहद चिंताजनक है। कोरोना के कारण पिछले कुछ महीनों में 16 से अधिक वरिष्ठ और मध्यम स्तर के नक्सली काल के गाल में समा गए हैं।
कई और नक्सली कार्यकर्ता भी कोरोना से संक्रमित हैं और इलाज के लिए छत्तीसगढ़ सरकार से सहायता के इंतजार में हैं। वे छत्तीसगढ़ सरकार से अलग से नक्सली वैक्सीनेशन शिविर लगाने की राह भी देख रहे हैं।