लंदन, आइएएनएस। कोरोना वैक्सीन और इसके वायरस के खिलाफ काम करने को लेकर एक नया शोध सामने आया है। इस शोध में पाया गया है कि फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक डोज कोरोना वायरस के खिलाफ 60 फीसद सुरक्षा प्रजान करती है। लैंसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार- फाइजर या एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की एक डोज SARS-CoV-2(कोरोना वायरस का कारण) से संक्रमण के खिलाफ लगभग 60 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है। यह शोध 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के वयस्कों पर किया गया है।
यूके में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि वैक्सीन की एक खुराक का सुरक्षात्मक प्रभाव टीकाकरण के चार सप्ताह से लेकर कम से कम सात सप्ताह बाद तक स्पष्ट होता है, जो अंतराल के विस्तार का समर्थन करने के लिए कुछ सबूत प्रदान करता है। तीन सप्ताह से अधिक की खुराक, यूके की नीति के अनुरूप।
यूसीएल स्वास्थ्य संस्थान से सूचना विज्ञानी मधुमिता श्रोत्री और लौरा शालक्रॉस ने कहा कि हालांकि, चार सप्ताह के बाद भी वैक्सीन की एक डो संक्रमण के जोखिम को समाप्त नहीं करती है। लैंसेट की शोध टीम ने कहा कि इस कमजोर आबादी में टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में नीतिगत निर्णयों और SARS-CoV-2 संक्रमण की भविष्य की लहरों से दीर्घकालिक देखभाल सुविधाओं की रक्षा के लिए लघु, मध्यम और दीर्घकालिक में आवश्यक रोग नियंत्रण उपायों को सूचित करने के लिए अध्ययन महत्वपूर्ण होगा।
आ रही है सुपरवैक्सीन
अब विज्ञानी एक ऐसी यूनिवर्सल वैक्सीन तैयार करने पर काम कर रहे हैं जो न सिर्फ वर्तमान कोरोना वायरस के सभी वैरिएंट के खिलाफ असरदार हो सकती है, बल्कि अन्य कोरोना वायरस से भविष्य में होने वाली महामारियों को भी रोक सकती है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी आफ नार्थ कैरोलिना (यूएनसी) के विज्ञानियों ने अभी इस वैक्सीन का चूहों पर प्रयोग किया है। यह वैक्सीन चूहों में ऐसी प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करती है जो न सिर्फ कोविड-19 बल्कि कोरोना वायरस के अन्य घातक वैरिएंट से भी उसकी रक्षा करती है। विज्ञानियों का कहना है कि कोरोना वायरस दुनिया के लिए खतरा बना रहेगा।