नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। भारतीय खानों में देसी घी का अहम मुकाम है। बच्चों से लेकर बूढ़े तक इसे खाना बेहद पसंद करते हैं। बिना घी के रोटी अधूरी लगती है तो सब्जी में घी के बिना स्वाद नहीं आता। देसी घी के सेहत के लिए बेहद फायदे हैं। इसमें पाचन तंत्र को सक्रिय करने वाले तत्व पाए जाते हैं, जिससे पाचन तंत्र सुचारू रूप से कार्य करता है और बॉडी में वसा नहीं जमती। यानि यह मोटापे पर कंट्रोल करता है। देशी घी में एंटीऑक्सीडेंट गुण मौजूद होते हैं। इससे बॉडी की इम्यूनिटी स्ट्रॉग होती है। सुबह खाली पेट इसका सेवन करने से बॉडी स्ट्रॉग रहती है।
अध्ययन में हुआ खुलासा:
लेकिन आप जानते हैं कि इतने गुणकारी घी का सेवन कुछ लोगों को नुकसान भी पहुंचा सकता है। यूएस लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक कुछ लोगों को बिल्कुल भी घी का सेवन नहीं करना चाहिए, वरना उनकी सेहत को खतरा हो सकता है। अध्ययन में प्रोफेसर हरि शर्मा, शियाओइंग झांग और चंद्रधर द्विवेदी शामिल है जिन्होंने सीरम लिपिड स्तर और माइक्रोसोमल लिपिड पेरोक्सीडेशन पर घी के प्रभाव को जानने का प्रयास किया था।
घी के सेवन से बढ़ सकता है खतरा:
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि पिछले कुछ दशकों में एशियाई लोगों में कोरोनरी धमनी रोग के मामले बढ़े हैं। इन मामलों के बढ़ने का सबसे बड़ा कारण घी का अत्याधिक इस्तेमाल है।
विशेषज्ञों के अनुसार, घी का सेवन शरीर में सेचुरेटेड फैटी एसिड और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को बढ़ा देता है। गर्म घी से कोलेस्ट्रॉल ऑक्सीकरण उत्पादों का भी स्राव होता है जो सेहत के लिए नुकसानदायक है। चूहों पर किए गए अध्ययन में दो तरह के चूहों को शामिल किया गया जिनमें से कुछ को घी वाले फूड दिए गए।
बीमार लोगों पर घी का असर अधिक:
चूहों का एक सेट पूरी तरह से स्वस्थ था, जबकि दूसरा सेट आनुवंशिक रूप से बीमार था। वैज्ञानिकों ने पाया कि स्वस्थ सेट वाले चूहों में घी के सेवन से ज्यादा फर्क नहीं हुआ, जबकि दूसरे सेट में घी खाने से चूहों के खून में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ गया।
अध्ययन के नतीज़ों में शोधकर्ताओं ने बताया है कि जिन लोगों को पहले से ही कोई बीमारी है उन्हें घी का सीमित सेवन करना चाहिए। खास तौर पर हृदय रोग के मरीज़ों को घी का सेवन नियंत्रित मात्रा में करना चाहिए।