क्या आपको पता है कि जिन ब्यूटी प्रॉडक्ट्स को आप खूबसूरत दिखने के लिए रोजाना इस्तेमाल करते हैं. उनसे आपको कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां भी हो सकती हैं. एक स्टडी में कुछ ऐसा ही खुलासा हुआ है.
नई दिल्ली: कोरोनाकाल में आज हम आपको एक ऐसे खतरे से आगाह करने जा रहे हैं. जिससे आपकी थोड़ी सी सावधानी आपको बचा सकती है.
बॉडी को खूबसूरत वाली कॉस्टेमिक्स में मिला जहर
क्या आपको पता है कि आपकी लिपस्टिक, आई शैडो यहां तक कि पलकों को गहरा करने वाले मस्कारा में जहर मिला हो सकता है. हाल ही में हुए एक रिएलिटी चेक में कई कॉस्मेटिक्स (Cosmetics Goods) में एक नया केमिकल फ्लोरीन पाया गया है. ऐसे में आप खतरे में पड़े बिना अपनी लिपस्टिक और बाकी मेकअप का सामान कैसे चुनें. ये हम आपको बताएंगे.
आपने कोरोना से बचने के लिए तो मास्क लगा रखा है लेकिन मास्क के नीचे भी खतरा है. जिसकी आपको ज्यादा जानकारी नहीं है. ये खतरा किसी नए वायरस का नहीं बल्कि जहरीले केमिकल का है, जो आपके ब्यूटी प्रो़डक्टस में घुल चुका है. खूबसूरत दिखाने के लिए बाजार में बिक रही लिपस्टिक, मस्कारा, आईशेडो और फाउंडेशन आपको बीमार करने का सामान बन सकते हैं.
स्टडी में हुआ खुलासा
एनवायरनमेंटल साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Environmental Science and Technology Report) की हाल में प्रकाशित स्टडी में दावा किया गया है कि पहली बार मेकअप प्रोडक्ट्स में जहरीला फ्लोरीन केमिकल मिला है. ये केमिकल लिपस्टिक, मस्कारा और फाउंडेशन में पाया गया है. ये स्टडी CALIFORNIA के ग्रीन साइंस पॉलिसी इंस्टिट्यूट ने की है.
इस संस्था ने अमेरिका और कनाडा के बड़े नामी ब्रांड्स पर ये स्टडी की है. स्टडी के दौरान लिपस्टिक, आईलाइनर, लिप बाम, ब्लश, नेल पॉलिश, मस्कारा और फाउंडेशन जैसे 231 प्रोडक्ट के नमूनों की जांच की गई. इनमें से आधे नमूनों में जहरीले केमिकल मिले हैं. वहीं 52 प्रतिशत प्रॉडक्टस में मिलावट पाई गई है.
स्टडी में पता चला है कि वाटरप्रूफ मस्कारा के 82% ब्रांड, फाउंडेशन के 63% और लिक्विड लिपस्टिक के 62% ब्रांड में फ्लोरीन मिला है.
अब हम आपको ये बताते हैं कि फ्लोरिन क्या होता है. fLOURINE दांतों की सेहत के लिए अच्छा माना जाता है लेकिन सीमित मात्रा में. फ्लोरिन का इस्तेमाल न्यूक्लियर मेटिरियल बनाने में भी होता है और प्लास्टिक बनाने में भी. हालांकि अगर इसे गैस या ज्यादा मात्रा के रूप में इस्तेमाल किया गाए तो यह बेहद खतरनाक हो सकता है. इससे केमिकल कैंसर, लिवर की बीमारी, थायराइड और इम्युनिटी में कमी भी आ सकती है.
लोगों को नहीं दी जाती जानकारी
हैरानी की बात ये हे कि किसी भी कॉस्मेटिक (Cosmetics Goods) के लेबल पर फ्लोरीन की जानकारी नहीं दी जाती. शोध में ये भी देखा गया कि 88 प्रतिशत प्रो़डक्टस सही जानकारी भी नहीं देते. कॉस्मेटिक्स में मिलावट पहली बार नहीं देखी गई है. इसलिए सावधान आपको ही रहना है. ये स्टडी विदेश में की गई है लेकिन भारत में आपको सुरक्षित मेकअप का सामान मिल रहा होगा. इसकी गारंटी नहीं है क्योंकि कॉस्मेटिक्स के ऐसे अधिकतर सामान विदेशों से ही प्रेरित होकर बनते हैं.
Global Journals की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया में कॉस्मेटिक्स के बढ़ते इस्तेमाल के साथ साथ इनके उत्पादन में इस्तेमाल होने वाले केमिकल की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है. जिसकी वजह से लोगों को कई तरह के साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ रहा है. इन साइड इफ़ेक्ट्स में से सबसे सामान्य हैं eczema जैसे चर्म रोग. इसके अलावा, आंखों में जलन, बालों का झड़ना और यहां तक कि कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी हो जाती हैं.
1. Diazolidinyl Urea
रिपोर्ट में पाया गया कि पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स जैसे कि बच्चों के पाउडर, आई शैडो, बेबी लोशन, फेस क्रीम में डाले जाने वाले ये ख़तरनाक केमिकल चर्म रोग के साथ ही आपको कैंसर का भी मरीज बना सकते हैं.
2. Formaldehyde
Preservatives के तौर पे इस्तेमाल किया जाने वाला ये केमिकल भी आपको कैंसर का शिकार बना सकता है.
3. हैवी मेटल्स
हैवी मेटल्स की बात करें तो लिप्स्टिक, आई शैडो और फेस पाउडर में पाए जाने वाले Antimony से आपको पेट का दर्द, उलटी, दस्त और यहाँ तक कि फेफड़ों की परेशानी जैसे कि emphysema भी हो सकता है.
Arsenic जो कि स्किन क्रीम और मेक अप पाउडर में इस्तेमाल किए जाने वाला ingredient है. उससे आपको lung cancer हो सकता है.
हेयर क्रीम, लिपस्टिक और स्किन क्रीम में पड़ने वाले Cadmium से आपको किडनी की समस्या हो सकती है,. इनके लंबे इस्तेमाल से आपकी हड्डियां भी कमज़ोर हो सकती हैं.
4. Parabens
Paraben एक ऐसा केमिकल है, जिसे अधिकतर कॉस्मेटिक्स में बतौर Preservatives इस्तेमाल किया जाता है. मगर क्या आप जानते हैं कि शैंपू और बॉडी क्रीम्स में इस्तेमाल किए जाने वाला ये केमिकल कैंसर जैसी ख़तरनाक बीमारी की जड़ बन सकता है? Parabens में बैक्टीरीयल और फ़ंगल इन्फ़ेक्शन रोकने की क्षमता होती है. इसे आपके प्रोडक्ट में इसीलिए डाला जाता है ताकि वो लंबा चले. ऐसे में सवाल ये है कि आपको अपने product की उम्र ज़्यादा प्यारी है या फिर अपनी?
5. Sulphates (Sodium lauryl Sulphate SLS and Sodium Laureth Sulphate SLES)
क्या आप जानते हैं कि शैंपू, टूथपेस्ट और साबुन में झाग बनाने वाला केमिकल Sodium lauryl Sulphate आपके बालों, दातों और त्वचा के लिए बेहद हानिकारक हैं? इसके लंबे इस्तेमाल से आपको आंखों और त्वचा में जलन हो सकती हैं. अगर आपको लगता है कि आजकल आपके बाल कुछ ज़्यादा ही झड़ रहे हैं तो हो सकता है कि इसकी वजह आपके शैम्पू में डाला गया Sodium lauryl Sulphate हो.
6. Talc
छोटे बच्चों को लगाए जाने वाले बेबी पाउडर से लेकर आई शैडो तक, इन सब में Talc एक मुख्य इंग्रीडीयंट होता है. जिस Talc को आप लगभग रोज़ाना इस्तेमाल करते हैं, उसमें cancer पैदा करने की योग्यता पायी गयी है. दरसल, Talc एक खनिज पदार्थ है, जिसे cancer पैदा करने वाले asbestos की खान के पास पाया जाता है. इसकी वजह से Talc में Asbestos की मिलावट हो जाने का ख़तरा रहता है. इस तरह की मिलावट वाले Talc के इस्तेमाल से महिलाओं में ovarian cancer के मामले देखे गए हैं.
सौंदर्य का अधिकतर बाजार नकली?
अब सवाल ये है कि क्या ब्यूटी (Cosmetics Goods) का ये पूरा बाज़ार ही नकली है. क्या कुछ भी इस्तेमाल करना खतरनाक है. मोटे तौर पर ये बात सच है लेकिन धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन और बालों को साफ करने के लिए शैंपू ज़रुरत की ऐसी चीजें हैं जिनसे बचा नहीं जा सकता. ऐसे में एक्सपर्ट ये सलाह देते हैं कि ब्रांडेड और अच्छी कंपनी के सामान खरीदने पर कुछ नुकसान कम किया जा सकता है. हालांकि जो चीज महंगी है, वह सेफ भी होगी. इस बात की गारंटी फिर भी नहीं दी जा सकती.
आप अपनी स्किन को पहचानिए. किसी भी प्राडक्ट से लाल दाने हों, खुजली हो या त्वचा का रंग बदलने लगे तो उसे फौरन बंद कर दें. ये भी जरुरी नहीं है कि किसी प्रॉडक्ट से आज एलर्जी नहीं हुई तो भविष्य में भी कभी नहीं होगी. स्किन लाइटनिंग क्रीम या फेयरनेस क्रीम लगाकर धूप में ना निकले.अच्छा सनस्क्रीन इस्तेमाल करें. तेज़ धूप में सनस्क्रीन आपको तभी बचाएगा, जब हर तीन से चार घंटे में उसे दोबारा लगाएं. घर से निकलने से दस मिनट पहले सनस्क्रीन लगाएं. स्किन को उसे सोखने का मौका दें.
ऐसे करें बॉडी की देखभाल
दिल्ली जैसे मैदानी इलाकों में 15 से 20 एसपीएफ यानी सन प्रोटेक्शन फैक्टर वाला सनस्क्रीन काफी होता है. पहाड़ी इलाकों में जहां सूरज ज्यादा नजदीक और तेज हो, वहां 40 एसपीएफ की जरुरत पड़ती है. हेयर डाई से अगर आंखों में जलन या हाथों में खुजली हो तो उसे इस्तेमाल ना करें. हर्बल हेयर डाई में भी केमिकल पाए जाते हैं, उसे सुरक्षा की गारंटी ना समझें.
कॉस्मेटिक प्रोडक्ट के इस्तेमाल करने से आपकी त्वचा के छिद्र भी बंद हो जाते है और स्कीन में कई बैक्टीरिया पनपते है. जो चेहरे या शरीर की त्वचा को खराब करने का कारण बनते है. आईलाइनर को केवल ऊपरी भाग पर न लगा कर आंखों के अंदर तक लगाया जाए तो यह हमारी TEAR GLANDS को ब्लॉक कर सकता है. इसलिए ऐसा करने से बचें.
हेयर डाई के केमिकल आंखो की रोशनी पर बुरा असर डालते हैं, बाल झड़ने लगते हैं और एक्जिमा से लेकर स्किन एलर्जी तक हो सकती है. इसके नियमित इस्तेमाल से चेहरे पर दाने और लाली भी आ सकती है. कुछ लिपस्टिक और लिपग्लॉस में ऑयल और केमिकल मिला हुआ होता है. खास तौर पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक में.
लेड से होता है शरीर को नुकसान
इनमें लेड की ज्यादा मात्रा भी मिला दी जाती है. इसका असर दिमाग, व्यवहार और सीखने की क्षमता पर पड़ सकता है. डार्क रंग की नेलपॉलिश आपके नाखूनों पर धब्बे छोड़ सकती है और उनमें पीलापन ला सकती है. कॉस्मेटिक्स (Cosmetics Goods) को गर्म तापमान से दूर और धूप की रोशनी से बचाकर रखना चाहिए. ध्यान रखें कि एक्सपायरी डेट के बाद वाले प्रोडक्ट बिल्कुल इस्तेमाल न करें .
नोट- ( शोधकर्ताओं ने लॉरियल, उल्टा, मैक, कवर गर्ल, क्लिनिक, मेबेललाइन, स्मैशबॉक्स, नार्स, एस्टी लॉडर जैसे शीर्ष 80 सौंदर्य प्रसाधन कंपनियों के प्रोडक्ट की जांच की है. हालांकि शोधकर्ताओं ने यह नहीं बताया कि किन कंपनियों के किस प्रोडक्ट में यह केमिकल मिला है)