अरबिंदो हॉस्पिटल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ रवि दोषी ने बताया कि इस इन्फेक्शन से मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जाती है.
इंदौर/अंशुल मुकातीः कोरोना वायरस की भयावह दूसरी लहर के बाद अब केस थोड़े कम होने लगे. लेकिन इस दौरान कोरोना रिकवरी के बाद ब्लैक फंगस के मरीज सामने आए. कुछ दिनों बाद व्हाइट और यलो फंगस के मरीज भी देखने को मिले. वहीं अब इंदौर शहर से ‘ग्रीन फंगस’ के मरीज की पुष्टि हुई. संभवतः देश में यह ‘ग्रीन फंगस’ का पहला ही मामला सामने आया है.
एयरलिफ्ट कर मुंबई भेजा
इंदौर शहर में ग्रीन फंगस के पहले मरीज की पुष्टि होने के बाद इंदौर के प्राइवेट अस्पताल से उसे एयरलिफ्ट कर बेहतर इलाज के लिए मुंबई भेजा गया. मरीज शहर के माणिकबाग इलाके में रहने वाला बताया गया है. 34 साल के युवा को कोरोना संक्रमण हुआ, उनके फेफड़े 90 फीसदी तक संक्रमित हो चुके थे.
दो महीने बाद मिली छुट्टी
दो महीने तक चले इलाज के बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. लेकिन डिस्चार्ज के 10 दिन बाद ही मरीज की हालत फिर बिगड़ने लगी. दाएं फेफड़े में मवाद भरने लगा, चेकअप कराने पर पता लगा कि उसके फेफड़े और साइनस में एसपरजिलस फंगस हुआ है.
ज्यादा खतरनाक है ‘ग्रीन फंगस’
कोरोना के दौरान सामने आए इस फंगल इन्फेक्शन के अब तक चार वैरिएंट सामने आ चुके हैं. ब्लैक, व्हाइट, यलो और ग्रीन फंगस. विशेषज्ञों ने बताया कि ग्रीन फंगस ज्यादा खतरनाक और अधिक जानलेवा बीमारी है. अरबिंदो हॉस्पिटल के चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ रवि दोषी ने बताया कि इस इन्फेक्शन से मरीज की हालत लगातार बिगड़ती जाती है.
काम नहीं करता ‘एम्फोटेरेसिन बी’ इंजेक्शन
इंदौर में मिले मरीज को खखार और गुदाद्वार से खून आने लगा था, बुखार भी लगातार 103 बना हुआ था. डॉ दोषी ने बताया कि ग्रीन फंगस में ‘एम्फोटेरेसिन बी’ इंजेक्शन भी काम नहीं करता है.
ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे
प्रदेश के साथ ही देश में भी संभवतः यह ग्रीन फंगस का पहला मामला पोस्ट कोविड मरीज में सामने आया. प्रदेश में कोरोना की रफ्तार जरूर कम होने लगी, लेकिन ब्लैक फंगस के मरीजों की अब भी पुष्टि हो रही है. ऐसे में ग्रीन फंगस का मरीज मिलने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई. बेहतर इलाज के मद्देनजर ही मरीज को मुंबई शिफ्ट किया गया.