ब्लड डोनेशन डे पर आइए जानते हैं प्रदेश के एकमात्र ब्लड कॉल सेंटर के बारे में. ये कॉल सेंटर इंदौर में है. यहां एक कॉल पर ब्लड मिल जाता है. इस कॉल सेंटर के पास 4 लाख लोगों का डाटाबेस है.
इंदौर. मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में एक ऐसा ब्ल्ड कॉल सेंटर है, जो आपको कहीं भी, कभी भी ब्लड उपलब्ध करवाता है. इस कॉल सेंटर के पास करीब चार लाख लोगों का डाटा है, जो हर वक्त समाज सेवा के लिए तत्पर रहते हैं. वर्ल्ड ब्लड डोनेशन डे पर आईए जानते हैं कैसा है ये कॉल सेंटर, क्या है खासियत.
यह कॉल सेंटर चलाते हैं इंदौर के अशोक नायक. ये नाम से भी नायक हैं और काम से भी. अशोक नायक 2007 से पहले परिवार के साथ दर्जी का काम करते थे. लेकिन, धीरे-धीरे वह लोगों की मदद के लिए आगे बढ़े और जरूरत मंदों के लिए ब्लड का बंदोबस्त करवाने लगे. चूंकि खून का कोई कारखाना नहीं होता, मरीज को चिकित्स्कों की सलाह पर ही ब्लड देना पड़ता है. और ऐसे में डोनर को ढूंढने में किल्लत होती थी. इन सभी के बीच की कड़ी बन गए अशोक नायक.
ये है मन के बदलाव की कहानी
अशोक नायक के मन के बदलाव की भी एक कहानी है. दरअसल, 2007 में वे परिवार के सदस्य को बीमार हालत में MY हॉस्पिटल लेकर गए थे. चूंकि नायक ही अपने परिवार के ऐसे सदस्य थे, जिन्हें घर की गाड़ी लूना चलानी आती थी. इसलिए जब भी कोई बीमार होता तो वे ही उसे अस्पताल लेकर जाते थे. अशोक ने बताया कि MY अस्पताल में उन्होंने एक महिला को रोते देखा और उसकी वजह पूछी. महिला ने बताया कि उसके मरीज के लिए उसे खून की जरूरत है. लेकिन, खून नहीं मिल पा रहा. अशोक नायक ने महिला के परिजन के लिए ब्लड डोनेट किया. इसके बाद से शुरू हुआ ब्लड अरेंजमेंट का सिलसिला. घर आकर जब नायक ने रक्तदान की बात बताई तो कुछ लोगो ने उनके इस कदम की तारीफ की. इससे उनका हौंसला बढ़ गया.
दिनभर दौड़ते रहते अस्पतालों में
अशोक नायक ने सोचा कि जब एक महिला की मदद करके इतनी खुशी मिल रही है, तो कई परेशान लोगों की मदद करके कितनी खुशी होगी. धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथियों को ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित किया. इसके बाद नायक ने अपना मोबाइल नंबर शहर के अस्पतालों में बांट दिया. कुछ लोग उनसे सम्पर्क करने लगे. इस दौरान नायक लोगों को तैयार करने के लिए दिनभर अस्पतालों में दौड़ते रहते. कहते हैं जब अच्छा काम करो तो परेशानी आती ही है. इसी तरह अब अशोक नायक के सामने समस्या खड़ी हो गई पैसे गई. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और दस फीसदी ब्याज पर बाजार से पैसे ले लिए. इसका उद्देश्य था कि ब्लड डोनर को इंतजार न करना पड़े और डोनर जल्द से जल्द मिल जाए.
देश-प्रदेश में बना लिया नेटवर्क
नायक ने धीरे-धीरे इंदौर ही नहीं देश-प्रदेश के विभिन्न शहरो में भी अपना नेटवर्क स्थापित कर लिया. इस बीच नायक को शासन की तरफ से (रेड क्रॉस से मदद के तौर पर) गंगवाल बस स्टेण्ड क्लॉथ मार्केट हॉस्पिटल के पास एक भवन मिल गया. यहां नायक ने कॉल सेंटर संचालित करना शुरू कर दिया और एक विशेष सॉफ्टवेयर के माध्यम से लगातार मॉनिटरिंग करना शुरू कर दिया. नायक के जज्बे में लोग धीरे धीरे जुड़ते चले गए. आज नायक के कॉल सेंटर में लगभग चार लाख लोगों का डेटा मौजूद है, जो रक्तदान के लिए सहमति प्राप्त कर चुके हैं.
शासन और जनता कर रहे मदद
जिस शहर से भी लोग नायक के कॉल सेंटर पर कॉल करते हैं, वे हॉस्पिटल के पास ही मौजूद ब्लड डोनर को ढूंढकर खून की व्यवस्था कर देते हैं. अब उनकी मदद के लिए शासन और जनता भी आगे आ गए हैं. ब्लड डोनर को पिक-ड्रॉप करने के लिए लोगों ने कार मुहैया करा दी. अशोक नायक को उम्मीद है कि उनके कॉल सेंटर को एक और वाहन मिलना चाहिए, क्योंकि शहर बहुत बड़ा है. उन्हें स्टाफ भी बढ़ने की उम्मीद है.