शिमला, जागरण संवाददाता। Himachal Online Education, झुग्गी-झोपडिय़ों में रहने वाले बच्चों और प्रवासी मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर शिक्षक खासे चिंतित हैं। नया सत्र शुरू होने के बाद भी इन बच्चों की अभी तक एक भी क्लास नहीं लग पाई है। कारण इनके पास स्मार्ट मोबाइल फोन का न होना है। शिक्षकों ने इनके स्वजन से संपर्क किया तो कइयों के पास तो साधारण फोन भी नहीं हैं। प्रदेश में एक हजार से अधिक ऐसे विद्यार्थी हैं। शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर को ई-पीटीएम में सुझाव दिया है कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब तक स्थानीय पढ़े-लिखे युवा बेरोजगारों को पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाए। हर घर पाठशाला कार्यक्रम के माध्यम से वाट्सएप पर जो पाठन सामग्री शिक्षक भेजता है वह उन तक पहुंच सके।
शिक्षा मंत्री नौ जून को ई-पीटीएम के समापन पर इसके लिए घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले पर विभागीय अधिकारियों से विचार-विमर्श करने के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। शिक्षक दसवीं और जमा दो कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अधिक चिंतित हैं। कई बच्चे ऐसे भी हैं, जो प्रवासी मजदूरों के हैं और उन्होंने दाखिला नहीं लिया है।
समग्र शिक्षा अभियान ऐसे विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाओं का आयोजन भी करता है, लेकिन कोरोना के कारण इसका आयोजन अभी संभव नहीं है। ई-पीटीएम में शिक्षकों ने यह मामला शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के समक्ष उठाया। शिक्षकों ने तर्क दिया कि वे इन विद्यार्थियों के घर तक नोट्स पहुंचाने के लिए तैयार हैं, लेकिन कोरोना कफ्र्यू के कारण यातायात बंद होने से विद्यार्थियों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। हालांकि कुछ स्थानों पर नोट्स पहुंचा भी दिए हैं, लेकिन संवाद नहीं हो पा रहा है कि पढ़ाई में उन्हें क्या दिक्कत पेश आ रही है।
नियमित प्राध्यापकों की हो नियुक्ति
शिमला। हिमाचल प्रदेश तकनीकी विश्वविद्यालय में नियमित प्राध्यापकों की नियुक्ति न होना और छात्रों से भारी-भरकम फीस लेने की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीप) ने निंदा की है। एबीवीपी के प्रांत मंत्री विशाल वर्मा ने प्रेस को जारी बयान में कहा कि तकनीकी विश्वविद्यालय में तीन साल से आठ पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं तथा विश्वविद्यालय में 430 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, लेकिन एक भी स्थायी शिक्षक की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है। विशाल वर्मा ने कहा कि विद्यार्थी परिषद शिक्षा का बाजारीकरण सहन नहीं करेगी।