केवल 7 महीने में ही आर्किड फार्मा के शेयरों ने अपने निवेशकों को लखपति से करोड़पति बना दिया। पिछले 7 महीने में आर्किड फार्मा के शेयरों में 7700 फीसद की उछाल दर्ज की गई है। बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयरों की कमी की वजह से उसके स्टॉक में तेजी दर्ज की जा रही है, लेकिन अब ऑर्किड फार्मा के शेयरों की तेजी खत्म होने वाली है। ऑर्किड फार्मा के नए निवेशकों ने अब नियमों के हिसाब से कंपनी में हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। कंपनी शेयरों में बंपर उछाल के बाद आर्किड फार्मा लिमिटेड के मालिक ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। ऑर्किड फार्मा में नए मालिकों की हिस्सेदारी करीब 98 फीसद है। दिवालिया प्रक्रिया से बाहर निकलने के बाद नवंबर के शुरुआत में ऑर्किड फार्मा के शेयरों की दोबारा लिस्टिंग हुई थी।
अगले कुछ महीने में आर्किड फार्मा के नए मालिक धानुका लेबोरेटरीज लिमिटेड में कम से कम 10 फीसद शेयर बेचने का फैसला किया है। ऑर्किड फार्मा के शेयरों में आई तेजी की वजह से निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इस तरह की कंपनियों के फंडामेंटल मजबूत नहीं होने के बाद भी इनके शेयरों में काफी तेजी दर्ज किए जाने की वजह से नए निवेशकों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।
3 साल की कानूनी लड़ाई के बाद धानुका को सफलता मिली
भविष्य में ऑर्किड फार्मा के शेयरों की तेजी जैसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए शेयर बाजार नियामक संस्था सेबी ने दिसंबर में यह फैसला किया था कि इस तरह की कंपनियों के लिए मिनिमम फ्री फ्लोट रिक्वायरमेंट को घटाकर 12 महीने कर दिया जाए। इससे पहले यह नियम 18 महीने का था। 3 साल की कानूनी लड़ाई के बाद धानुका को आर्किड फार्मा को खरीदने में सफलता मिली थी। आर्किड फार्मा को कर्ज देने वाले संस्थानों को रिस्ट्रक्चरिंग में 1 फीसद की हिस्सेदारी मिली थी, जबकि पुराने शेयरधारकों को इसमें 1 फीसद हिस्सेदारी मिली थी। कंपनी में पब्लिक होल्डिंग को बढ़ावा देने के लिए आर्किड का बोर्ड एक प्रस्ताव पर भी विचार कर रहा है जिसमें अनलिस्टेड कंपनी धानुका लैब को इसमें मर्ज किया जा सकता है।