मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में कोरोना महामारी के बीच भाईचारे और सौहार्द्र की नई मिसाल देखने को मिली. यहां एक हिंदू परिवार में गमी हो गई तो मुस्लिम समाज ने पूरी विधि के साथ मृतक का अंतिम संस्कार कराया.
आगर मालवा. मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में कोरोना महामारी के बीच भाईचारे और सौहार्द्र की नई मिसाल देखने को मिली. यहां एक हिंदू परिवार में गमी हो गई तो मुस्लिम समाज ने पूरी विधि के साथ मृतक का अंतिम संस्कार कराया. उन्होंने चैन्नई में रह रहे परिजनों को ऑनलाइन अंतिम दर्शन भी कराए.
जानकारी के मुताबिक, आगर की अर्जुन नगर कॉलोनी मे ईशाक खां के मकान में चैन्नई के करुथकन्नादेवर के इलियाराजा उर्फ राजा अन्ना (50 वर्ष) किराए से रहते थे. वे इसी मकान से पापड़, पिंगल व अन्य खाद्य सामग्री का व्यवसाय करते थे. उनके परिवार में पत्नी रानीबाई, दो बेटियां रोशनी व जुबेदी और एक 12 वर्षीय बेटा शिवा है. अन्ना पिछले 25 सालों से आगर में ही रह रहे थे.
मददगार बनकर खड़े हो गए पड़ोसी
जानकारी के मुताबिक, बुधवार को अचानक उनके पेट में दर्द हुआ. परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. बदहवास अवस्था मे मृतक की परिवार ने मकान मालिक इशाक खां व अन्य पड़ोसियों से मदद मांगी. इसके बाद इशाक और पड़ोसी तैयार हो गए. चूंकि, मददगारों को को हिन्दू रीति-रिवाज से दाह संस्कार की जानकारी नहीं थी, तो उन्होंने समाज सेवक सुधीर भाई जैन को बुला लिया.
हर परंपरा निभाई
सुधीर भाई जैन हिन्दू रीति-रिवाजों के मुताबिक जानकारियां देते गए और मुस्लिम समाज के लोग परम्परा के अनुसार सारी प्रक्रिया करते रहे. उन्होंने अर्थी सजाई, कंधा दिया फिर श्मशान में लकड़ियां भी जमाई. अर्जुन नगर कॉलोनी से परम्परानुसार अंतिम यात्रा निकाली गई, जिसमें दर्जनों मुस्लिम समाज के लोग शामिल हुए. मोतीसागर तालाब किनारे स्थित मुक्तिधाम पर विधि विधान के साथ मृतक का दाह संस्कार बेटे के हाथों कराया.
मीलों दूर परिजनों को कराए अंतिम दर्शन
सुधीर भाई जैन ने बताया कि मृतक के बेटे शिवा ने चैन्नई में रह रहे परिजनों के नंबर दिए. सभी परिजनों को मुक्तिधाम से मोबाइल पर अंतिम दर्शन कराए. आगर में इसी तरह साम्प्रदायिक सौहार्द का वातावरण बना रहे. उन्होंने कहा दाह संस्कार मे शामिल सभी मुस्लिम भाइयों के हम आभारी हैं. वहीं, राजा अन्ना की अचानक मौत हो जाने से परिवार के अन्य सदस्यों को संभालने मुस्लिम महिलाएं मृतक के घर पहुंचीं. बदहवास परिजनों को ढांढस बंधाया और उन्हे संभाला.