तिरुवनंतपुरम. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी में चिकित्सकों की भूमिका सबसे अहम रही है. हालांकि, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े लोगों ने लाखों जानें बचाकर अपनी उपयोगिता को साबित किया है. हाल ही में केरल में भी एक नजारा ऐसा देखने को मिला, जहां स्वास्थ्यकर्मियों ने मरीजों के इलाज के लिए सभी सीमाओं को तोड़ा. उन्होंने कोविड पीड़ितों तक पहुंचने के लिए नदी पार की, कई किमी जंगल में भी चले. राज्य सरकार ने सभी की काफी सराहना की है.
द इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, डॉमिसिलियरी केयर सेंटर की मेडिकल टीम को एक जनजातीय गांव मुरुगुला में आपात स्थिति में पहुंचना था. यह गांव पलक्कड़ के अटापडी से 20 किमी दूर है. यहां इरुला, मुदुगर और कुरुंबा जनजाति के करीब 100 लोग रहते हैं. बीते हफ्ते एक परिवार के तीन लोगों को तेज बुखार की शिकायत हुई थी और उन्हें तत्काल मेडिकल सुविधा की जरूरत थी.
कठिन थी यात्रा
इस टीम में तीन डॉक्टर और एक ड्राइवर था. वे जानते थे कि गाड़ी को केवल भवानी पुझा नदी के किनारे तक ले जाया जा सकता है और उन्हें नदी अपने आप ही पार करनी होगी. शनिवार सुबह नदी पार करने के बाद टीम अटापडी जंगल में और 8 किमी तक चलने के बाद गांव पहुंची. गांव में आने के बाद उन्होंने 30 से ज्यादा लोगों का रैपिड एंटीजन टेस्ट किया, जिनमें से 7 लोग कोविड पॉजिटिव आए. इन्हें पुथूर डीडीसी में भर्ती कराया गया है.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने टीम के सदस्य डॉक्टर सुकन्या, हेल्थ इंस्पेक्टर डॉक्टर सुनील वसु, जूनियर हेल्थ इंस्पेक्टर डॉक्टर शैज और ड्राइवर साजेश की तारीफ की है. कोविड संक्रमण और मृत्यु की दर पर काबू पाने के लिए केरल सरकार ने मेडिकल स्तर पर कई बदलाव किए हैं. इनमें डीडीसी भी शामिल है. केरल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को एक्टिव केस 2 लाख 59 हजार 179 थे. 24 मई तक राज्य की करीब 18.68 फीसदी आबादी को टीका लग चुका है.