राजधानी दिल्ली में ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) से पीड़ित मरीजों की संख्या लगभग 620 हो गई है। तीन दिन में ही 300 से ज्यादा रोगी अस्पतालों में भर्ती हो चुके हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी। दिल्ली में तेजी से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए अस्पतालों में अतिरिक्त वार्ड बनाए जा रहे हैं।
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लोकनायक के बाद अब जीटीबी अस्पताल में भी नए वार्ड तैयार किए गए हैं। जीटीबी अस्पताल के प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर बी.एल शेरवाल ने बताया, अस्पताल में अभी ब्लैक फंगस के करीब 68 मरीज भर्ती हैं। इनमें से ज्यादातर मधुमेह से पीड़ित है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
दो दिन पहले तक रोगियों की संख्या केवल 30 थी। लेकिन अब इनमें 50 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गई है। पहले चालू किए गए दोनों वार्ड भर गए हैं। इसको देखते हुए दो अतिरिक्त वार्ड बढ़ा दिए गए है। ब्लैक फंगस के इलाज के लिए नए डॉक्टरों की नियुक्ति भी की गई है।
राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में भी 55 मरीजों की क्षमता वाला एक वार्ड ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए तैयार कर दिया गया है। अगले एक-दो दिन के भीतर सभी 55 बेड को शुरू करने की योजना है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि इसके लिए डॉक्टरों की तैनाती की जा रही है।
इसकी प्रक्रिया पूरी होते ही ब्लैक फंगस का इलाज अस्पताल में शुरू हो जाएगा। दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में भी म्यूकोर माइकोसिस के मरीजों के लिए तीसरा वार्ड बनाया जा रहा है। यहां 70 से अधिक मरीजों का इलाज चल रहा है।
अब तक 18 की जान गई
ब्लैक फंगस से दिल्ली में अबतक 18 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें 10 की मौत एम्स में हुई है। सर गंगाराम अस्पताल में दो रोगियों की जान चली गई है। वहीं मैक्स के 6 अस्पतालों में चार मरीजों की मौत हो चुकी है। आकाश और मूलचंद अस्पताल में भी एक-एक मौत हो गई है। हालांकि, सरकार की ओर से मौत के कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं दिए गए हैं।
इंजेक्शन की कमी से इलाज में दिक्कत: मुख्यमंत्री
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में ब्लैक फंगस के करीब 620 केस हो चुके हैं, लेकिन हमें दवाई नहीं मिल रही है। परसो भी 400 के करीब डोज मिले थे और कल भी करीब 400 डोज मिले थे, जबकि एक दिन में एक मरीज को करीब 6 इंजेक्शन लगाने होते हैं। अगर 600 मरीज हैं, तो हमें प्रतिदिन 3500 इंजेक्शन चाहिए, लेकिन हमें केवल 400 इंजेक्शन ही मिल पा रहे हैं। इस वजह से ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में काफी दिक्कत आ रही है।