रांची, जासं । कोरोना संक्रमण की दर राज्य में काफी गिर गयी है। इसके साथ ही वैक्सीनेशन, टेस्टिंग और सरकार की सख्ती जारी है। मगर विज्ञानी कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के आने की चेतावनी भी दे रहा है। विज्ञानियों का मानना है कि तीसरी लहर में बच्चों के संक्रमण सबसे ज्यादा अपनी चपेट में लेगा। ऐसे में पारस एचईसी अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा संजीव कुमार ने बताया कि यदि कोरोना का तीसरी लहर आती है तो यह 12 से 18 वर्ष वाले किशोर के लिए ज्यादा नुकसानदायक होगा।
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हालांकि ऐसा नहीं है कि इस वक्त बड़ों और बुजुर्गों को संक्रमण नहीं होगा। बल्कि बच्चों में संक्रमण के ज्यादातर मामले बड़ों से ही फैलेंगे। ऐसे में बच्चों की रक्षा के लिए बड़ों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर में संभावित तीसरी लहर आने की संभावना है।ऐसे में सावधानी बरतना ही एक मात्र उपाय है।
डा संजीव कुमार ने बताया कि कोरोना के पहली लहर ने 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों को अपनी चपेट में लिया था। उस लहर में 18 वर्ष कम उम्र वाले सिर्फ दो प्रतिशत ही संक्रमित हुए थे। उसमें भी गंभीर स्थिति या मौत अत्यधिक कम थी। जब दूसरी लहर आई तो 18 वर्ष से कम वाले किशोर तीन से चार प्रतिशत तक संक्रमित हुए। ऐसे में यदि तीसरी लहर आती है तो 18 वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। क्योंकि इस उम्र वाले के लिए टीका नहीं बनने की वजह से तब तक इनका टीकाकरण ही नहीं हो पाएगा। वहीं 18 से अधिक उम्र वाले काफी लोगों का टीकाकरण हो चुका रहेगा।
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शून्य से छह वर्ष वर्ष वाले बच्चे सबसे कम संक्रमित होंगेडा. संजीव के मुताबिक शून्य से 18 वर्ष वालों को तीन वर्गों में बांटा गया है। पहला, शून्य से छह वर्ष, दूसरा छह से 12 वर्ष और तीसरा 12 से 18 वर्ष। शोध में देखा गया है कि कोरोना वायरस का रिसेप्टर शून्य से छह वर्ष वाले बच्चों में न के बराबर होता है। इसलिए उनमें कोरोना का खतरा भी नहीं होता।
उम्र बढ़ने के साथ रिसेप्टर बढ़ता जाता है और उसी अनुपात में कोरोना से संक्रमित होने का खतरा भी बढ़ता जाता है। 12 से 18 वर्ष वर्ग वाले बच्चों में रिसेप्टर व्यस्क के लगभग बराबर होता है। इसलिए इस उम्रवाले में तीसरी लहर के दौरान खतरा ज्यादा होगा। फिर वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहा है। पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में कोरोना का स्वरूप बदला और ज्यादा घातक हो गया है। ऐसे में तीसरा लहर में और स्वरूप बदलेगा। आशंका जताई जा रही है कि दूसरे लहर की अपेक्षा तीसरा लहर 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा घातक होगा।क्या हो सकता है बचाव
-शून्य से छह वर्ष वाले बच्चे मास्क नहीं पहन सकते। इसलिए घर के व्यस्क या माता-पिता को हर समय मास्क पहना होगा ताकि बच्चे में संक्रमण न हो।
-छह वर्ष से अधिक उम्र वाले बच्चे को मास्क पहना कर रखना होगा। सैनिटाइजेशन भी लगातार करना होगा।
-बच्चों को बाहरी व्यक्ति के संपर्क में आने से बचाना होगा।
-प्रोटिन से भरपूर भोजन बच्चों को देना होगा। प्रोटिन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
-बच्चे की दूध की मात्रा बढ़ानी होगी।इलाज
-घर में पल्स ऑक्सीमीटर रखें ताकि बच्चों में ऑक्सीजन का लेवल मापा जा सके। ऑक्सीजन का स्तर 94 से कम होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
-यदि ऑक्सीमीटर नहीं है तो बच्चे की सांस और शरीर के तापमान पर नजर रखनी होगी। सांस लेने में तकलीफ होने पर डॉक्टर को दिखाएं।
-शरीर में पानी की कमी नहीं हो, इसका ख्याल रखना होगा।ऐसे समझे कोरोना वायरस का शरीर में फैलाव
डॉ. संजीव कहते हैं कि शरीर के कोशिका में एक तय जगह होता है, कोरोना वायरस वहां जाकर बैठता है। फिर कोशिका के अंदर पहुंचता है और उसके बाद तेजी से अपनी संख्या बढ़ाता है। वायरल भार ज्यादा होने पर कोविड के लक्षण दिखने लगते हैं।