Jharkhand News : पीसी एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को मंज़ूरी मिलने के बाद रघुवर दास ने झारखंड सरकार और कार्रवाई करने वाले अफसरों को चुनौती दी. जानिए क्या है पूरा मामला और कैसे हो रही है प्रतिक्रिया.
रांची. झारखंड सरकार ने एक अहम आदेश में 5 साल पुराने हॉर्स ट्रेडिंग मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एडीजी अनुराग गुप्ता और पूर्व सीएम के सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोध यानी पीसी एक्ट के तहत मुकदमा चलाए जाने को मंज़ूरी दे दी. इस केस में दास को अब अप्राथमिक अभियुक्त बनाया गया है, जबकि मामले में एफआईआर 2021 में हुई थी. राज्य के गृह विभाग ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत केस चलाने का आदेश पुलिस को सौंपा है. वहीं, इस आदेश के बाद दास ने हेमंत सोरेन सरकार को खुले शब्दों में चुनौती देते हुए कहा है कि वो डरेंगे नहीं.
इस मामले में आरोपी बनाए गए पूर्व सीएम दास ने कहा कि झारखंड सरकार जितनी चाहे धाराएं उनके खिलाफ लगा ले, लेकिन यह न समझे कि इस तरह वो उन्हें डरा सकती है. यही नहीं, इस मामले में जिन अधिकारियों की अहम भूमिका है, दास ने उन्हें भी ‘भविष्य में देख लेने’ का साफ इशारा किया है. जानिए क्या है यह पूरा मामला.
क्यों आरोपी बनाए गए दास?
वास्तव में यह मामला 2016 के राज्यसभा चुनाव के वक्त हुई हॉर्स ट्रेडिंग से जुड़ा है. तब बाबूलाल मरांडी ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दास तत्कालीन विधायक योगेंद्र साव के घर पर दिखाई दिए थे. खबरों के मुताबिक जगन्नाथपुर पुलिस ने तत्कालीन विधायक निर्मला देवी और योगेंद्र साव के हवाले से कहा था कि दास ने उन्हें चुनाव के दौरान वोट ने देने के बदले में पांच करोड़ रुपये देने का लालच दिया था. इस मामले में निर्मला देवी व अन्य के बयानों के आधार पर दास को अप्राथमिक आरोपी बनाया गया है.
दास ने दिखाए तेवर, धमकी भी दी!
झारखंड सरकार पर विद्वेष की राजनीति करने और इस पुराने मामले को चुनाव तक जबरन खींचने का आरोप लगाते हुए दास ने कहा ‘मेरी ज़िंदगी खुली किताब है, जो चाहे पढ़ सकता है.’ वहीं, इस मामले में उनके खिलाफ कुछ और धाराएं जोड़ने वाले अधिकारियों को इशारे में धमकी देते हुए कहा ‘यहां कुछ भी शाश्वत नहीं है… जो अफसर सोच रहे हैं कि अभी गंदगी फैलाकर बाद में आराम से रह सकेंगे, वो भुलावे में न रहें. जो गलत करेगा, भविष्य में चैन से नहीं रह पाएगा.’
क्या है नई धाराएं लगने का माजरा?
इस केस की समीक्षा जब 2021 में की जा रही थी, तब पाया गया कि चुनाव आयोग ने 2017 और 2018 के कुछ पत्रों में कथित तौर पर मुख्य सचिव से आईपीसी की धाराओं के साथ ही एंटी करप्शन एक्ट के तहत एक्शन की बात भी कही थी. इसी के आधार पर समीक्षा करने वाले सीआईडी एडीजी अनिल पालटा ने एक्ट की संगत धाराएं जोड़ने को कहा था. इस बारे में गृह विभाग से इजाज़त मांगी गई थी, जिस पर मंज़ूरी मिल गई और इसी पर दास ने रोष व्यक्त किया.