पहले पर्याप्त डिग्री होने के बाद भी क्लर्क (Clerk) के पद खाली नहीं होने की वजह से मृतक टीचर्स के आश्रितों को फोर्थ ग्रेड की नौकरी (Forth Grade Job) करने के लिए मजबूर होना पड़ता था.
लखनऊ: यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान कोविड से संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों के मामले के बाद यूपी सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में सेवाकाल के दौरान मृत शिक्षकों के उन आश्रितों को जो शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण नहीं हैं, लेकिन स्नातक की शैक्षिक योग्यता रखते हैं, सरकार उन्हें विभाग में अधिसंख्य पद सृजित कर लिपिक (कनिष्ठ सहायक) की नौकरी देगी.
बेसिक शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश
बेसिक शिक्षा मंत्री (Primary Education Minister) सतीश चंद्र द्विवेदी ने विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि जो मृतक टीचर्स के आश्रित बीएड और बीटीसी डिग्री वाले है उनको टीचर की नौकरी और जो टीईटी पास नहीं है उनको क्लर्क की नौकरी (JOB) दी जाए. बेसिक शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि मृतक टीचर्स और कर्मचारियों के फंड का भी जल्द से जल्द भुगतान उनके परिवारों को दिया जाए.
उन्होंने बताया कि पहले अधिकांश टीचरों के मृतक आश्रित जो टीईटी उत्तीर्ण नहीं थे वह उच्च शिक्षित होते हुए भी चतुर्थ श्रेणी में सेवा करने के लिए मजबूर होते थे क्योंकि तृतीय श्रेणी में पद रिक्त नहीं होते थे. यह व्यवस्था उनकी योग्यता के अनुरूप नहीं थी. इसी बात को ध्यान में रखते हुए Third क्लास की अर्हता रखने वाले मृतक आश्रितों को पद रिक्त न होने की स्थिति में भी अधिसंख्य पद पर नियुक्ति दी जाएगी.
मृतक आश्रितों को होगा लाभ
सरकार ने संदेश देने की कोशिश की है कि सरकार की संवेदनाएं उनके साथ है. इस बारे में शासनादेश मंगलवार (25 मई) को जारी होने की संभावना है. प्रदेश सरकार के इस फैसले से हाल ही में पंचायत चुनाव की ड्यूटी के दौरान कोरोना संक्रमित होने से जान गंवाने वाले परिषदीय शिक्षकों और कर्मचारियों के मृतक आश्रितों को बड़ा लाभ होगा.
अनुकंपा के आधार पर शिक्षक की नौकरी
उत्तर प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों की सेवाकाल के दौरान मौत होने पर उनके आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी दी जाती थी. निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद शिक्षकों की नौकरी के लिए स्नातक और बीटीसी (अब डीएलएड) की योग्यता के साथ शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया. फिर उसके बाद से स्नातक और बीटीसी के साथ टीईटी उत्तीर्ण मृतक आश्रितों को शिक्षक की नौकरी दी जाती है. स्नातक होने के बावजूद जो मृतक आश्रित टीईटी उत्तीर्ण नहीं है, उन्हें चतुर्थ श्रेणी की नौकरी दी जाने लगी.
पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान मौत
बता दें कि पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान बड़ी संख्या में टीचर्स और कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गए थे, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी. अब उनके आश्रितों को क्लर्क और टीचर की नौकरी यूपी सरकार की तरफ से दी जाएगी. सीएम योगी ने इसके लिए आदेश दे दिए हैं. सरकार ने इस फैसले से उन शिक्षक और कर्मचारी संघों की नाराजगी कम करने की कोशिश है जो कि पंचायत चुनाव में मृत शिक्षकों और कर्मचारियों के परिजनों के प्रति सरकार पर संवेदनहीन होने का आरोप लगा रहे थे.