कोरोना के बीच मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार की परेशानियां अब बढ़ती जा रही हैं.
भोपाल. मध्य प्रदेश में एक तरफ कोरोना संक्रमण की रफ्तार भले ही कम हो हो रही है. लेकिन दूसरी तरफ ब्लैक फंगस बीमारी के मरीज तेजी से प्रदेश में बढ़ते जा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक एमपी में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 1044 पहुंच गई हैं. जबकि वाइट फंगस ने भी मध्य प्रदेश में दस्तक दे दी है. वाइट फंगस का पहला मरीज जबलपुर में मिला है. इसके बाद सरकार की चिंता ज्यादा बढ़ गई है. सरकार ने ब्लैक फंगस को प्रदेश में महामारी घोषित कर दिया है. लेकिन यहां गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश में ब्लैक फंगस के कई मरीज ऐसे मिले हैं जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था लेकिन फिर भी वह ब्लैक फंगस के शिकार हुए.
NHM की रिपोर्ट
दरअसल, नेशनल हेल्थ मिशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक मध्य प्रदेश में ब्लैक फंगस के जो शुरूआती 1 हजार मरीज मिले हैं. उनमें से 38 प्रतिशत मरीज ऐसे थे जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था बावजूद इसके वह ब्लैक फंगस के शिकार हो गए. इस रिपोर्ट के बाद सरकार और स्वास्थ्य विभाग की परेशानियां बढ़ गई. क्योंकि इस रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि हो गई कि कोरोना नहीं होने के बाद भी ब्लैक फंगस होने का खतरा है.
1 हजार से ज्यादा मरीजों का चल रहा इलाज
फिलहाल प्रदेश सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. इस वक्त प्रदेश में अभी तक ब्लैक फंगस के 1044 मरीज मिले हैं. सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 610 ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है. महामारी घोषित होने के बाद दूसरे अस्पतालों से भी सरकार को आंकड़े मिल रहे हैं. ऐसे में सरकार ने सभी जिलों के प्रशासन को प्राइवेट अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों के आंकड़े जुटाने के निर्देश दिए हैं.
भोपाल में बढ़ाए गए बेड
ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों के चलते राजधानी भोपाल के सभी अस्पतालों में बेड बढ़ा दिए गए हैं. हमीदिया अस्पताल में 500 बेड की व्यवस्था की गई है. जबकि दूसरी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज करने की व्यवस्था करने के निर्देश भोपाल कलेक्टर ने दिए हैं. भोपाल में 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है.
इंदौर में 300 से ज्यादा मरीज
इंदौर शहर में ब्लैक फंगस के मरीजों का आंकड़ा 300 पार पहुंच गया है. शहर में तेजी से इसमें उपयोग होने वाले इंजेक्शन की मांग बढ़ रही है. पिछले 48 घंटों से बड़ी संख्या में परिजन एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन कक्ष के बाहर बैठे थे. जिन लोगों को इंजेक्शन नहीं मिल पा रहे हैं, वह काफी परेशान हो रहे हैं.
ग्वालियर में 40 से ज्यादा मरीज
ग्वालियर में कोरोना के 40 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है. ग्वालियर में ब्लैक फंगस की बीमारी से ग्रसित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, अब तक ग्वालियर में ब्लैक फंगस के शिकार 40 मरीज सामने आ चुके हैं जिसमें से दो लोगों की मौत भी हो चुकी है. मरीजों की बढ़ती संख्या स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौती बनी हुई है क्योंकि दवाइयों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, हालांकि ग्वालियर सीएमएचओ का कहना है कि डिमांड भोपाल भेजी है उम्मीद है कि जल्द ही दवाइयां मिल जाएंगी. इसके साथ ही जिस तरीके से ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है उसके साथी अब पोस्ट कोविड वार्ड में बेड संख्या भी बढ़ाई जा रही है. जयारोग्य अस्पताल के साथ-साथ जिला चिकित्सालय मुरार में भी एक पोस्ट कोविड वार्ड तैयार किया गया है ताकि मरीजों को वहां भर्ती किया जा सके.
जबलपुर में भी बढ़ रही ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या
इसके अलावा बात अगर जबलपुर की जाए तो यहां भी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. जबलपुर में भी 100 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है. वहीं, जबलपुर में 55 वर्षीय व्यक्ति में कोविड-19 से ठीक होने के बाद ‘व्हाइट फंगस’ संक्रमण का पता चला है. ऐसे में जबलपुर में भी अस्पतालों में व्यवस्थाएं बढ़ाई जा रही हैं.
कमजोर इम्युनिटी वालों पर ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा
ब्लैक फंगस का खतरा कमजोर इम्युनिटी वालों पर ज्यादा है. विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर इम्युन वाले लोगों पर ब्लैक फंगस ज्यादा अटैक करता है. साथ ही कोविड मरीजों को स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक दवाएं ज्यादा दी जा रही हैं. इससे भी उनका इम्युन सिस्टम कमजोर हो रहा है. इसकी वजह से पोस्ट कोविड लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन 743 में से 60% मरीज ऐसे हैं, जिन्हें डायबिटीज, कमजोर इम्युनिटी, को-मोर्बिलिटी की शिकायत थी। को-मोर्बिलिटी यानी ऐसे मरीज, जिन्हें कैंसर, किडनी, हार्ट डिसीज थी जिन्हें ब्लैक फंगस पाया गया. मतलब साफ है कि इस तरह के मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा है. फिलहाल डॉक्टरों ने लोगों से सतर्कता बरतने की बात कही है.