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ब्लैक और वाइट फंगस के बाद दी ‘yellow Fungus’ ने दस्तक, यहां मिला पहला केस

पवन त्रिपाठी/गाजियाबाद: कोरोना संकट के बीच ब्लैक फंगस, और वाइट फंगस के कहर के बाद येलो फंगस ने दस्तक दे दी है. यूपी के गाजियाबाद में येलो फंगस का पहला मामला सामने आया है. येलो फंगल, ब्लैक और वाइट फंगस से भी ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है. इस लक्षण को मुकोर सेप्टिकस (पीला फ़ंगस) का नाम दिया गया है.

पीले फंगस के लक्षण
येलो फंगस एक घातक बीमारी है क्योंकि यह आंतरिक रूप से शुरू होता है. इसके लक्षणों में सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना देखा जा रहा है. जैसे-जैसे यह आगे बढ़ता है, वैसे-वैसे ये घातक होता जाता है. घावों से मवाद का रिसाव करना और संभवतः खुले घाव की धीमी गति से ठीक होना और सभी घावों की ठीक होने की धीमी गति करना पाया गया है. कुपोषण और अंग विफलता और अंततः परिगलन के कारण धंसी हुई आखें हैं. ईएनटी सर्जन डॉक्टर बृज पाल त्यागी के अस्पताल में मरीज का इलाज शुरू हो गया है.

येलो फंगस का इलाज
मुकोर सेप्टिकस (पीले फ़ंगस) के लक्षण हैं, सुस्ती, कम भूख लगना, या बिल्कुल भी भूख न लगना और वजन कम होना. डॉक्टर की सलाह है कि ये गंभीर है और आप इनमें से किसी भी लक्षण को नोटिस करते ही उपचार शुरू कर दें. इसका  एक मात्र इलाज  amphoteracin b इंजेक्शन  है. जो एक ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीफ़ंगल है.

पीले फंगस का कारण-खराब स्वच्छता 
डॉक्टरों के मुताबिक येलो फंगस फैलने का कारण अनहाईजीन है. इसलिए अपने घर के आस-पास साफ-सफाई रखें. स्वच्छता रखना ही इस बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को रोकने में मदद करेगा. पुराने खाद्य पदार्थों को जल्द से जल्द हटाना बहुत महत्वपूर्ण है.

बचाव
घर की आर्द्रता भी महत्वपूर्ण है इसलिए इसे हर समय मापा जाना चाहिए, बहुत अधिक आर्द्रता, बैक्टीरिया और फ़ंगस के विकास को बढ़ावा दे सकती है. सही आर्द्रता जिसे आप प्राप्त करना चाहते हैं वह 30% से 40% है, बहुत अधिक नमी होने की तुलना में कम आर्द्रता से निपटना आसान है. वॉटरटैंक में नमी को कम करना और अच्छी प्रतिरोधक प्रणाली भी इसके बढ़ने की संभावना को कम कर सकती है.

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