ब्लैक फंगस की चपेट में दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने नई कमेटी गठित की है. इस कमेटी में 4 सदस्य नियुक्त किए गए हैं. ये कमेटी Amphotericin-B इंजेक्शन का गलत उपयोग रोकेगी. साथ ही बच्चों को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने के लिए भी टास्क फोर्स बनाया जाएगा.
नई दिल्ली. देश की राजधानी नई दिल्ली में लगातार बढ़ रहे ब्लैक फंगस की रफ्तार को कम करने की कोशिश जारी है. इस बीमारी में जरूरी एंटीफंगल ‘एम्फोटेरिसिन (Amphotericin-B) इंजेक्शन’ के गलत प्रयोग को रोकने और सही-सुचारू वितरण को लेकर दिल्ली सरकार ने चार सदस्यीय टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी गठित की है. डॉ. एम. के. डागा को कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया है, जबकि डॉ. मनीषा अग्रवाल, डॉ. एस. अनुराधा और डॉ. रवि मेहर को बतौर मेंबर शामिल किया गया है. साथ ही मंत्री गोपाल राय ने बताया कि बच्चों को कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा.
गौरतलब है कि ब्लैक फंगस (Black Fungus) ने दिल्ली सरकार की टेंशन बढ़ा दी है. ब्लैक फंगस (Mucormycosis) के इस समय दिल्ली में 185 मामले हैं, जो कि अरविंद केजरीवाल सरकार के साथ केंद्र सरकार कर टेंशन बढ़ा रहे हैं. बता दें कि ब्लैक फंगस के मरीज दिल्ली के सात अस्पतालों में भर्ती हैं, लेकिन इलाज की सुविधा नहीं होने के कारण वह इन मरीजों को दिल्ली एम्स जैसे बड़े अस्पतालों में भेज रहे हैं. इस समय दिल्ली एम्स में 61 और सर गंगाराम अस्पताल में ब्लैक फंगस के 69 मरीजों को इलाज चल रहा है. हालांकि इससे पहले दिल्ली एम्स में ऐसी बीमारी के 12 से 15 मामले ही सामने आते थे. यही नहीं, दिल्ली एम्स और सर गंगाराम अस्पताल के अलावा मैक्स और इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में ब्लैक फंगस के कई मरीज सामने आ चुके हैं.
टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु
1- जिन भी अस्पतालों को इंजेक्शन की जरूरत होगी, वे सबसे पहले इस कमेटी के पास अप्लाई करेंगे.
- तय परफॉर्मा के अनुसार ही इसके लिए एप्लिकेशन ईमेल के जरिए या फिजीकल कॉपी के रूप में कमेटी को भेजनी होगी.
- चूंकि ऐसे मामलों में समय बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए इंजेक्शन के लिए आए एप्लिकेशन पर विचार और निर्णय के लिए हर दिन दो बार, सुबह 10-11 AM और शाम 4-5 PM के बीच कमेटी की बैठक होगी. बैठक वर्चुअल/डिजिटल भी हो सकती है.
- DGHS कमेटी के साथ कॉर्डिनेट करेंगीं और ऐसे मामलों में जल्द से जल्द निर्णय लेने में सहायता देंगीं. वे अप्रूवल से लेकर अस्पतालों तक इंजेक्शन की डिलीवरी तक को मॉनिटर करेंगीं.
- हर दिन की मीटिंग का निर्णय ईमेल के जरिए सम्बंधित पक्षों से साझा किया जाएगा. एप्लिकेशन खारिज होने के मामले में सम्बंधित अस्पताल को लिखित में जानकारी दी जाएगी. मीटिंग के निर्णय की एक कॉपी स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट पर भी डाली जाएगी.
- कमेटी के निर्देश पर DGHS का कार्यालय अस्पताल या इंस्टिट्यूशन के अधिकृत व्यक्ति को इंजेक्शन मुहैया कराएगा. या प्राइवेट अस्पतालों के मामले में स्टॉकिस्ट भुगतान के साथ अस्पताल के अधिकृत व्यक्ति को इंजेक्शन उपलब्ध कराएगा.
- DGHS और सभी स्टॉकिस्ट यह सुनिश्चित करेंगे कि अस्पतालों तक इंजेक्शन उसी दिन पहुंचे. इससे जुड़ा सभी रिकॉर्ड DGHS का कार्यालय मेंटेन करेगा.
- सम्बंधित अस्पताल को तय मरीज के लिए इंजेक्शन के इस्तेमाल की रिपोर्ट सौंपनी होगी.
- Amphotericin-B इंजेक्शन के सही इस्तेमाल की जिम्मेदारी व्यक्तिगत तौर पर अस्पताल प्रशासन की होगी, वे सुनिश्चित करेंगे कि इसका किसी भी तरह से गलत इस्तेमाल न हो. आगामी समय में ऑडिट के मद्देनजर उन्हें इसका रिकॉर्ड भी रखना होगा.
- केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए स्टॉक के अनुसार ही Amphotericin-B इंजेक्शन का वितरण होगा. वितरण की प्रक्रिया में किसी तरह की वेटिंग लिस्ट नहीं बनाई जा सकेगी.
- स्टॉक खत्म होने की स्थिति में नया स्टॉक आने पर अस्पतालों को सूचित किया जाएगा और नए सिरे से एप्लिकेशन मंगाए जाएंगे.
- इलाज कर रहे डॉक्टर के विशेष रिकमेंडेशन पर विशेष परिस्थिति में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रधान सचिव खुद किसी सरकारी अस्पताल को इंजेक्शन दे सकेंगे.