झारखंड में स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह के दौरान आवागमन पर सख्त पाबंदियां और e-pass को अनिवार्य करने के बाद दूसरे राज्यों से आ रहे प्रवासियों और मजदूरों के लिए परेशानियां बढ़ गई हैं।
ट्रेन से झारखंड पहुंचने के बाद उन्हें अपने घर तक जाने के लिए गाड़ियां नहीं मिल रही है। भारी भरकम सामान और बच्चों के साथ वे इस उमस भरी गर्मी में पैदल चलने को मजबूर हैं। कहीं गाड़ियां मिल भी गयी तो मनमाना भाड़ा वसूला जा रहा है। अपने राज्य लौट रहे प्रवासी सरकार से काफी खफा हैं। उनका कहना है कि झारखंड सरकार फेल है। बाहर से लौट रहे लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं है।
पंजाब हरियाणा दिल्ली शिमला आदि जगहों से लौट रहे प्रवासियों को 20 किलोमीटर के लिए ऑटो का दो- दो सौ रुपये किराया चुकाना पड़ा। वह भी ऑटो वाले ने जांच में पकड़े जाने के डर से आधे रास्ते में ही उन्हें उतार दिया। प्रवासियों की त्रासदी लॉकडाउन वन की याद दिला रही है।