बिहार में कोरोना महामारी के खिलाफ फ्रंट वॉरियर्स के रूप में लड़ाई लड़ने और शहीद हो जाने वाले डॉक्टरों के परिजनों को केंद्र सरकार से 50 लाख रुपए बीमा की राशि मिलने में देरी हो रही है। राज्य में कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान अबतक 118 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। इनमें 39 डॉक्टरों की मौत पहली लहर के दौरान वर्ष 2020 में ही हो चुकी है, लेकिन इन डॉक्टरों के परिजन बीमा की आस में अब अपना धैर्य खो रहे हैं। उनके सामने परिवार और बच्चों की देखभाल, नियमित आजीविका के प्रश्न खड़े हो गए हैं।
मात्र चार डॉक्टरों के परिजनों को मिला है मुआवजा
राज्य में अबतक मात्र चार कोरोना संक्रमण से मृत डॉक्टरों के परिजनों को ही 50 लाख की बीमा राशि प्राप्त हो सकी है। इनमें डॉ. उमेश कुमार सिंह, डॉ. रति रमण झा, डॉ. नरेंद्र कुमार सिंह और डॉ. उमेश्वर प्रसाद वर्मा के परिजनों को मुआवजा दिया गया है।
केंद्र सरकार ने गरीब कल्याण योजना के द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के माध्यम से डॉक्टरों का बीमा भुगतान का प्रावधान किया है। केंद्र ने कोविड 19 के दौरान संक्रमित हो कर मृत होने वाले डॉक्टरों को 50 लाख रुपये बीमा का भरोसा दिलाया था। इस संबंध में सभी राज्यों को दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं। इसके बावजूद पिछले एक साल से दर्जनों डॉक्टरों के परिजनों को मुआवजा राशि नहीं दी गयी है
समय पर सभी कागजात नहीं भेजे जा रहे केंद्र को
राज्य के स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि कोरोना संक्रमित मृतक डॉक्टर से संबंधित सभी आवश्यक कागजात समय पर केंद्र को नहीं भेजे जा रहे हैं। प्राथमिक स्वस्थ्य केंद्र से लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति तक लापरवाही इस कदर बरती जा रही है कि जैसे तैसे कागजात तैयार किये जाते हैं। सभी कागजात जिला सिविल सर्जन के माध्यम से राज्य स्वास्थ्य समिति और फिर भारत सरकार को भेजे जाते हैं। बीमाकर्ता कंपनी कागजातों के आधे-अधूरे होने पर उसे वापस कर देती है या रद्द कर देती है, जबकि कोरोना से मौत के प्रमाणपत्र के आधार पर संबंधित मृतक डॉक्टर के नोमनी के खाते में राशि का हस्तांतरण कर दिया जाना चाहिए।
मीना कुमारी से मीना कुमार होने पर मुआवजा देने को लेकर मामला लंबित
पटना सदर में तैनात एक डॉक्टर जिनकी मौत कोरोना होने से हो गयी, उनकी पत्नी के नाम में विवाह पूर्व मीना कुमारी की जगह शादी के बाद मीना कुमार होने की वजह से मुआवजा भुगतान के मामले को लटका दिया गया। बीमाकर्ता कंपनी को सही तथ्य विभागीय अधिकारी नहीं दे रहे हैं और बीमा कंपनी भी अपने नियमों के तहत कागजातों को अपूर्ण कह कर वापस भेजने में लगी है।
निजी क्लीनिकों के डॉक्टरों के कोरोना से मृत्यु होने पर मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं
राज्य में कोरोना काल के दौरान राज्य सरकार के आदेश पर निजी क्लीनिकों को भी खोलने को कहा गया था। लेकिन जो डॉक्टर निजी क्लीनिकों में मरीजों के इलाज के दौरान कोरोना संक्रमित होकर शहीद हो गए, उनके परिजनों को मुआवजा देने का कोई प्रावधान नहीं है। जैसे सामान्य व्यक्ति को चार लाख रुपये मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है, उसी प्रकार इन्हें भी सामान्य श्रेणी में रखा गया है, जबकि डॉक्टर सरकारी अस्पताल हो या निजी क्लीनिक सरकार के आदेश पर ही मरीजों की जांच और इलाज में जुटे हैं। जानकारी के अनुसार वर्तमान में तमिलनाडु की नई सरकार ने निजी डॉक्टरों के कोरोना से मौत होने पर 25 लाख रुपये के भुगतान का निर्देश दिया है।
प्रधानमंत्री से आग्रह है कि कोरोना संक्रमण काल में जनहित में डॉक्टरों ने अपनी जान दे दी। उनके परिजनों को जल्द सहायता दी जाए। ताकि कोरोना के विरुद्ध कार्य करने वाले डॉक्टरों का मनोबल ऊंचा रहे।
–डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय निर्वाचित अध्यक्ष, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन
कोरोना वॉरियर्स शहीद डॉक्टरों के परिवार को मुआवजा व नौकरी देने में देरी से डॉक्टरों में असंतोष बढ़ रहा है। राज्य सरकार तमिलनाडु की तर्ज पर निजी डॉक्टरो को भी मुआवजा दे।
— डॉ. अजय कुमार, वरीय उपाध्यक्ष, आईएमए, बिहार
स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और अपर मुख्य सचिव से अपील है कि कोरोना काल में मृत सभी सरकारी और निजी डॉक्टरों के परिजनों को एक निश्चित समय सीमा में मुआवजा देने का प्रावधान किया जाए।
— डॉ. विमल कारक, पूर्व अध्यक्ष, आईएमए, बिहार