Punjab

पंजाब में गोबर से बनेगी बिजली, गैस भी होगी तैयार, जर्मन तकनीक का होगा इस्तेमाल

जेएनएन, जालंधर। जमेशर डेयरी कॉम्प्लेक्स में गोबर से बिजली पैदा करने के लिए बायोगैस प्लांट लगाने की तैयारी है। यह काम कई वर्षों से लटका हुआ था, लेकिन अब इसके जल्द शुरू होने की उम्मीद जगी है। जमीन ठेकेदार को ट्रांसफर कर दी गई है। गोबर से एक मेगावाट बिजली तैयार करने का पावर प्लांट लगाया जाना है। गोबर से गैस भी बनेगी। ठेका लेने वाली कंपनी इस पर करीब 20 करोड़ रुपये खर्च करेगी।

कंपनी से 23 साल के लिए डेढ़ लाख रुपये सालाना किराये के हिसाब से एग्रीमेंट किया है। बायो गैस प्लांट लगाने में जर्मन तकनीक इस्तेमाल होगी। इस प्लांट पर 31 दिसंबर 2020 तक काम शुरु होना था, लेकिन ठेकेदार काम के प्रति गंभीर नहीं था। लेकिन, अब उम्मीद जगी है। जमशेर कॉम्प्लेक्स में करीब 17 हजार पशु हैं। डेयरी मालिक गोबर सीवर में ही बहा देते हैं जो ड्रेन में गिरता है। कंपनी डेयरी मालिकों से गोबर खरीदेगी, जिससे डेयरी मालिकों की इनकम भी बढ़ेगी।

एफुलेंट ट्रीटमेंट प्लांट पर आएगा 14 करोड़ खर्च

जमशेर डेयरी कॉम्प्लेक्स के पानी को ड्रेन में फेंकने से पहले साफ किया जाना जरूरी है। इसके लिए 2.25 एमएलडी की क्षमता वाला एफुलैंट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाना है। इस पर करीब 14 करोड़ रुपये खर्च आएंगे। जमशेर डेयरी कॉम्प्लेक्स की डेयरियों से निकलने वाला पानी बिना साफ किए ही ड्रेन में फेंक दिया जाता है। यह ड्रेन आगे जाकर सतलुज दरिया में गिरती है। एनजीटी ने दरियाओं में गंदे पानी की निकासी को रोकने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दे रखे हैं।

काम में तेजी लाने का निर्देश

पंजाब के एनवायरमेंट एक्शन प्लान की रिव्यू मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी ने आदेश दिया है कि जालंधर के जमशेर डेयरी कंपलेक्स में बायोगैस प्लांट और एफुलैंट ट्रीटमेंट प्लांट के काम में तेजी लाई जाए। इन दोनों प्रोजेक्ट पर एक साथ काम करने के आदेश पहले ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जारी किए हुए हैं।

टेंडर हर हाल में 30 जून 2021 तक अलाट कर दिया जाए

डायरेक्टरेट ऑफ एनवायरमेंट एंड क्लाइमेट चेंज और पंजाब सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस टेक्नोलॉजी एंड एनवायरमेंट के अफसरों से मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी ने इस मुद्दे पर चर्चा की गई है और निर्देश दिया गया है कि एफुलैंट ट्रीटमेंट प्लांट-ईटीपी का टेंडर हर हाल में 30 जून 2021 तक अलाट कर दिया जाए।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दोनों प्रोजेक्टस के लिए पहले ही डेडलाइन तय की हुई है। ईटीपी 30 अगस्त 2022 तक पूरा करना होगा, जबकि बायोगैस प्लांट को 30 नवंबर 2023 तक पूरा करने के आदेश दिए गए हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जनवरी महीने में यह आदेश भी दिया कि इन दोनों प्रोजेक्ट पर इकट्ठे काम करना होगा क्योंकि एक प्रोजेक्ट अगर पूरा हो भी जाता है तो इसका पर्यावरण सुधार में कोई असर नजर नहीं आएगा। बायोगैस प्लांट की जिम्मेदारी निगम के एसई रजनीश डोगरा और ईटीपी की जिम्मेदारी एसई सतिंदर कुमार ही है। एसई सतिंदर कुमार ने कहा कि ईटीपी प्रोजेक्ट का टेंडर जल्द ही लगा दिया जाएगा। 

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