Uttarakhand

कोरोना से बचने को पहाड़ों में घर तलाश रहे महानगर के लोग, होटलों में भी मिल रहे रूम

Corona Effect: उत्तराखंड समेत पूरे देश में कोरोना का तांडव जिस तेजी से मेट्रो सीटी पर बरसा है, उससे कई परिवार अब महानगरों छोड़कर दूर दराज के इलाकों का रुख कर रहे हैं. प्रदेश के होटलों ने भी मासिक किराए पर कमरा देने शुरू किया.

पिथौरागढ़. उत्तराखंड समेत पूरे देश में कोरोना (Corona) का तांडव जिस तेजी से मेट्रो सीटी पर बरसा है, उससे कई परिवार अब महानगरों छोड़कर दूर दराज के इलाकों का रुख कर रहे हैं. खासकर पहाड़ों की कम आबादी वाले इलाकों में रहने के लिए कमरा किराए पर ले रहे हैं. पिथौरागढ़ के बॉर्डर इलाकों में 4-5 महीनों के लिए कमरा किराए पर लेने के लिए कई लोगों के फोन मेट्रो सीटी से स्थानीय लोगों के पास आ रहे हैं. इन इलाकों में अब होटलों ने भी महीने के हिसाब से रेट तय कर दिए हैं. कमरा किराए पर लेने के लिए जो जानकारी हासिल की जा रही है, उसमें सबसे अहम बात यह इंटरनेट की स्पीड भी है.

दिल्ली की एक फर्म में काम करने वाले कपिल खन्ना कहते हैं कि आजकल काम घर से ही चल रहा है. ऐसे में मैंने और मेरे दो दोस्तों ने तय किया है कि किसी पहाड़ी इलाके में कुछ महीने के लिए कमरा किराए पर लेकर वहीं रहा जाए. हमारी कंपनी ने कहा है कि दो-तीन महीने तो अभी घर से ही काम करना होगा. हो सकता है यह बढ़ भी जाए. हम दोस्तों ने मिलकर पहले देहरादून जाने की सोची थी, लेकिन वहां भी कोविड के केस लगातार बढ़ रहे हैं. बाद हमने पिथौरागढ़ के एक गांव में किसी से बात की. वहां इंटरनेट स्पीड ठीक है और कोरोना भी ज्यादा नहीं फैला है. हम वहीं से काम भी कर लेंगे और आउटिंग भी हो जाएगी.

दिल्ली से आ रहे कॉल

बॉर्डर इलाके मुनस्यारी में होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष पूरन पाण्डे कहते हैं कि मुझे दिल्ली से कई कॉल आई जो दो या फिर तीन महीने के लिए कमरा बुक करना चाहते हैं. मुम्बई, लखनऊ से भी कुछ फोन आए. उन्होंने कहा कि लोग होटल में महीने भर के लिए कमरे का रेट पूछ  रहे हैं साथ ही यह भी जानकारी चाह रहे हैं कि क्या गांव में किसी घर में कोई कमरा किराए पर मिल सकता है जहां इंटरनेट की सुविधा हो. उन्होंने कहा कि हमने होटल रेट अब महीने के हिसाब से भी तय कर लिए हैं. अभी लगभग सभी जगह ज्यादातर ऑफिस बंद हैं और घर से ही काम हो रहा है. स्कूल भी बंद हैं. ऐसे में महानगरों में जिस तरह कोरोना फैला है और डर का माहौल बना है उससे लोग खुद को बचाने के लिए कम आबादी वाले दूर दराज के इलाकों में जाना चाह रहे हैं.

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